विगत एक वर्ष में 'संघ परिवार' और मोदी सरकार का केवल आर्थिक मामलों में ही कांग्रेसीकरण नहीं हुआ, बल्कि तथाकथित साम्प्रदायिक और जातीय 'तुष्टिकरण' की नीति का भी उन्होंने जोरदार नव उदारीकरण किया है। इस क्षेत्र में तो 'मोदी सरकार ने कांग्रेस के भी कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए हैं। वेशक कांग्रेस ने आजादी के बाद सर्वाधिक समय तक देश पर राज किया है। उसने सत्ता प्राप्ति के लिए और सत्ता में बने रहने के लिए बहुत सारे अवांछनीय समझोते भी किये हैं। वोट के लिए विभिन्न वर्गों-अल्पसंख्यकों,सहित अगड़ा-पिछड़ा और दलित का भी खूब भारत मिलाप किया है। वेशक देश की जनता ने कांग्रेस को अभी केंद्र की सत्ता से बाहर किया है। किन्तु उसकी वजह उसकी तथाकथित तुष्टिकरण नीति नहीं है बल्कि महँगाई भृष्टाचार , अण्णा -राम देव और भाजपाइयों का दुष्प्रचार ही प्रमुख रहा है।
साम्प्रदायिक और जातीय तुष्टिकरण सिर्फ काग्रेस ने ही नहीं किया बल्कि सपा, वसपा, ममता,पासवान, लालू ,नीतीश,अकाली,शिवसेना इत्यादि सभी ने अपनी-अपनी सुविधा और उपलब्धता के अनुसार विभिन्न सम्प्रदायों और जातियों के वोटों का भरपूर स्वार्थमय तुष्टिकरण किया है। लेकिन कांग्रेस सहित इन सभी गैर भाजपा दलों ने जितना भी तुष्टिकरण किया होगा ,उससे कई गुना तुष्टिकरण विगत एक साल में अकेले मोदी सरकार ने कर दिखाया । यह मूल्यांकन देश की प्रबुद्ध जनता को करना है कि इस तुष्टिकरण के निहतार्थ क्या हैं ?जो लोग गुलगुले खा रहे हैं वे ओरों को गुड खाने से मना कैसे कर सकते हैं ? यह सौ फीसदी सत्य है कि जब तक जातीय , साम्प्रदायिक और भाषायी -क्षेत्रीय आधार पर वोटिंग होती रहेगी तब तक भारत का लोकतंत्र अधूरा ही रहेगा। अभी तो यह धनबल बाहुबल और जातीय-साम्प्रदायिक तुष्टिकरण का 'बनाना' तंत्र ही है।
विगत लोक सभा चुनाव की बम्फर सफलता से बौराये एनडीए नेता अब यूपी -बिहार में भी उसी जातीय तुष्टिकरण के लिए कूट रचना में व्यस्त हैं। जीतनराम,पासवान और कुशवाहा जैसे दलित नेताओं को भाजपा के साथ एनडीए में लाकर लालू-नीतीश की जातीय युति का खौफनाक प्रतिस्पर्धी कुम्भकरण जगाया जा रहा है। मोदी प्रेरित और अमित शाह अभिनीत तौर तरीके बता रहे हैं कि आइन्दा भी बिहार -यूपी ही नहीं बल्कि पूरे देश में जातीतवाद और सम्प्रदायवाद का यही सिलसिला जारी रहेगा। जो लोग मोदी जी पर या उनकी सरकार पर हिन्दुत्वादी होने का आरोप लगा रहे हैं वे गलतफहमी में हैं । जो लोग मोदी सरकार से ये उम्मीद लगाये बैठे हैं कि इस सरकार के रहते भारत में 'हिन्दुपदपादशाही' के दिन बहुरेंगे वे घोर अज्ञानी हैं।मोदी सरकार के राज में एक ओर अडानी-अम्बानी जैसे फलेंगे -फूलेंगे तो दूसरी ओर जातीयता-साम्प्रदायिकता का उन्माद भी बढ़ता रहेगा । वे कांग्रेस को कोसते रहेंगे और आचरण में तथाकथित भृष्ट कांग्रेस का ही अनुसरण भी करते रहेंगे। यह अपवित्र कर्म वे स्वेच्छा से नहीं बल्कि इस नापाक सिस्टम के स्टेक होलडर्स के दवाव में करते रहेंगे।
भारत की जनता जब तक वर्तमान अधोगामी सिस्टम पर हल्ला नहीं बोलती ,जब तक इस पूँजीवाद प्रेरित आर्थिक नीति पर हल्ला नहीं बोलती ,जब तक जागरूक जनता जाति -मजहब और खाप से परे 'वर्ग संघर्ष' का बिगुल नहीं बजाती ,तब तक जातीय,साम्प्रदायिक तुष्टिकरण की कालिख को कोई नहीं मिटा सकता। नमो भी नहीं !
श्रीराम तिवारी
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