इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
शनिवार, 6 जून 2015
हर चीज की बुलन्दियों पर पहुँचने की भी एक हद हैगी।
तभी तो बड़ी बेआबरू होकर किचन से निकल गयी मैगी।।
:-श्रीराम तिवारी
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