रविवार, 14 जून 2015

फेस बुक और गूगल से ,इंटरनेट की शोभा है !

     'संघ- कुल' रीत सदा चलि आई।

     धनवानों  की करत   सेवकाई।।

     दाग जब  मनी  लॉंड्रिंग लागा।

     मोदी  ललित  वतन  से भागा ।।

     मोदी  -मोदी     भाई  - भाई।

     सुषमा बहिन ने प्रीत निभाई।।

     ई डी  ढूंड  रहा  है  जिसको।

     शासक बचा रहे हैं उसको।।

    अब अण्णा  क्यों चुप है भाई।

    क्यों सत्य न्याय की शामत आई।।


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वाद से प्रतिवाद की ,प्रतिवाद से वाद की ,

वाद और प्रतिवाद से ,संवाद की शोभा है।

संघर्ष से एकता की ,एकता से संघर्ष की ,

संघर्ष और एकता से ,क्रान्ति की शोभा है।।

बलिदान से लहू की ,लहू से बलिदान की ,

बलिदान और लहू से ,लाल झंडे की शोभा है।

शोषण से दमन की ,दमन से शोषण की ,

शोषण और दमन से ,गुलामी की शोभा है।।

श्रम  से पूँजी की ,पूँजी से श्रम  की ,

श्रम  और पूँजी से ,पूँजीवाद की शोभा है।

पूंजीवाद से विषमता की ,विषमता से पूंजीवाद की ,

विषमता और पूँजीवाद से,लुटेरों की शोभा है।। 

किसान से मजदूर की ,मजदूर से किसान की ,

किसान और मजदूर से ,उत्पादन  की शोभा है।

सत्ता से दलालों की ,दलालों से सत्ता की ,

सत्ता और दलालों से ,धन्ना सेठों की शोभा है।।

अपराधी से पुलिस की ,पुलिस से अपराधी की ,

अपराधी और पुलिस से ,थाने की शोभा है।

जज से वकील की ,वकील से जज की ,

जज और वकील से ,क़ानून की शोभा है।।

डॉ से मरीज की ,मरीज से डाक्टर की ,

डाक्टर और मरीज से अस्पताल की शोभा है।

चमचों से नेता की ,नेता से चमचों की ,

नेता और चमचों से ,जम्हूरियत की शोभा है।।

लेखक से पाठक की ,पाठक से लेखक की ,

लेखक और पाठक से ,रचना की शोभा है।

फेस बुक से गूगल की ,गूगल से फेस बुक की ,

फेस बुक और गूगल से ,इंटरनेट की शोभा है।।

 श्रीराम तिवारी    

 





       

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