'संघ- कुल' रीत सदा चलि आई।
धनवानों की करत सेवकाई।।
दाग जब मनी लॉंड्रिंग लागा।
मोदी ललित वतन से भागा ।।
मोदी -मोदी भाई - भाई।
सुषमा बहिन ने प्रीत निभाई।।
ई डी ढूंड रहा है जिसको।
शासक बचा रहे हैं उसको।।
अब अण्णा क्यों चुप है भाई।
क्यों सत्य न्याय की शामत आई।।
****************************
वाद से प्रतिवाद की ,प्रतिवाद से वाद की ,
वाद और प्रतिवाद से ,संवाद की शोभा है।
संघर्ष से एकता की ,एकता से संघर्ष की ,
संघर्ष और एकता से ,क्रान्ति की शोभा है।।
बलिदान से लहू की ,लहू से बलिदान की ,
बलिदान और लहू से ,लाल झंडे की शोभा है।
शोषण से दमन की ,दमन से शोषण की ,
शोषण और दमन से ,गुलामी की शोभा है।।
श्रम से पूँजी की ,पूँजी से श्रम की ,
श्रम और पूँजी से ,पूँजीवाद की शोभा है।
पूंजीवाद से विषमता की ,विषमता से पूंजीवाद की ,
विषमता और पूँजीवाद से,लुटेरों की शोभा है।।
किसान से मजदूर की ,मजदूर से किसान की ,
किसान और मजदूर से ,उत्पादन की शोभा है।
सत्ता से दलालों की ,दलालों से सत्ता की ,
सत्ता और दलालों से ,धन्ना सेठों की शोभा है।।
अपराधी से पुलिस की ,पुलिस से अपराधी की ,
अपराधी और पुलिस से ,थाने की शोभा है।
जज से वकील की ,वकील से जज की ,
जज और वकील से ,क़ानून की शोभा है।।
डॉ से मरीज की ,मरीज से डाक्टर की ,
डाक्टर और मरीज से अस्पताल की शोभा है।
चमचों से नेता की ,नेता से चमचों की ,
नेता और चमचों से ,जम्हूरियत की शोभा है।।
लेखक से पाठक की ,पाठक से लेखक की ,
लेखक और पाठक से ,रचना की शोभा है।
फेस बुक से गूगल की ,गूगल से फेस बुक की ,
फेस बुक और गूगल से ,इंटरनेट की शोभा है।।
श्रीराम तिवारी
धनवानों की करत सेवकाई।।
दाग जब मनी लॉंड्रिंग लागा।
मोदी ललित वतन से भागा ।।
मोदी -मोदी भाई - भाई।
सुषमा बहिन ने प्रीत निभाई।।
ई डी ढूंड रहा है जिसको।
शासक बचा रहे हैं उसको।।
अब अण्णा क्यों चुप है भाई।
क्यों सत्य न्याय की शामत आई।।
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वाद से प्रतिवाद की ,प्रतिवाद से वाद की ,
वाद और प्रतिवाद से ,संवाद की शोभा है।
संघर्ष से एकता की ,एकता से संघर्ष की ,
संघर्ष और एकता से ,क्रान्ति की शोभा है।।
बलिदान से लहू की ,लहू से बलिदान की ,
बलिदान और लहू से ,लाल झंडे की शोभा है।
शोषण से दमन की ,दमन से शोषण की ,
शोषण और दमन से ,गुलामी की शोभा है।।
श्रम से पूँजी की ,पूँजी से श्रम की ,
श्रम और पूँजी से ,पूँजीवाद की शोभा है।
पूंजीवाद से विषमता की ,विषमता से पूंजीवाद की ,
विषमता और पूँजीवाद से,लुटेरों की शोभा है।।
किसान से मजदूर की ,मजदूर से किसान की ,
किसान और मजदूर से ,उत्पादन की शोभा है।
सत्ता से दलालों की ,दलालों से सत्ता की ,
सत्ता और दलालों से ,धन्ना सेठों की शोभा है।।
अपराधी से पुलिस की ,पुलिस से अपराधी की ,
अपराधी और पुलिस से ,थाने की शोभा है।
जज से वकील की ,वकील से जज की ,
जज और वकील से ,क़ानून की शोभा है।।
डॉ से मरीज की ,मरीज से डाक्टर की ,
डाक्टर और मरीज से अस्पताल की शोभा है।
चमचों से नेता की ,नेता से चमचों की ,
नेता और चमचों से ,जम्हूरियत की शोभा है।।
लेखक से पाठक की ,पाठक से लेखक की ,
लेखक और पाठक से ,रचना की शोभा है।
फेस बुक से गूगल की ,गूगल से फेस बुक की ,
फेस बुक और गूगल से ,इंटरनेट की शोभा है।।
श्रीराम तिवारी
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