बुधवार, 17 जून 2015

कुछ मंत्री -मुख्यमंत्री इस देश को चूना लगाये जा रहे हैं।


    वैसे तो प्रत्येक व्यक्ति  कम-ज्यादा गलतफहमी का शिकार हुआ करता है। लेकिन मुझे कुछ  ज्यादा   ही गलतफहमियां घेरे रहती हैं। हालाँकि वक्त का  कुहाँसा  छटने पर मैं स्वयं ही अपनी समझ-बूझ का तिया -पाँचा
करने में भी देर नहीं करता।विगत लोक सभा चुनाव से पूर्व चल रहे चुनाव अभियान में मुझे गलत फहमी हुई कि
भाजपा नीत  एनडीए गठबंधन को बमुश्किल बहुमत मिलेगा। अतः अन्य दलों के समर्थन की दरकार होगी । मुझे गलतफहमी थी कि  मोदी जी के नाम पर बाहरी समर्थन जुटाना मुश्किल होगा ,अतएव राजनाथसिंह या सुषमा स्वराज में से कोई भी  प्रधानमंत्री बन सकता है। चुनाव परिणाम में जब एनडीए को २८२ सांसदों का प्रचंड बहुमत मिला और नरेंद्र मोदी की झोली में जब राजनैतिक आंधी के बेर झर  पड़े तो मेरी वो गलतफहमी  भी दूर  हो गयी। यूपीए के दौरान नेता प्रतिपक्ष के रूप में शुषमा स्वराज की धर्मनिरपेक्ष और समन्वयात्मक छवि  की गलतफहमी मेरे अलावा कइयों को थी। नरेंद्र मोदी की गुजरात वाली इमेज के बरक्स सुषमा स्वराज कीपुरानी   आपातकाल वाली समाजवादी छवि मुझे एहसास दिलाती थी कि  "सुषमा इस बेटर देन नमो' । मेरी यह मासूम  गलतफहमी भी तब दूर हुई जब मुझे  जब पता चला कि  सुषमा जी तो वर्षों से सपरिवार  एक भगोड़े देशद्रोही ललित मोदी  की 'पारिवारिक मित्र' हैं ।
                                          मुझे गलतफहमी थी कि  नरेंद्र मोदी तो हिटलर ,मुसोलनि,नादिरशाह या स्टालिन जैसी  शख्शियत के हैं। मुझे गलतफहमी थी कि  वे बड़े निरंकुश -आत्मविश्वाशी और सर्वज्ञ हैं। उनकी इच्छा के बिना  कोई मंत्री तो क्या संत्री भी पर नहीं मार सकता। मुझे गलतफहमी थी कि  नरेंद्र मोदी की पूरे राजनैतिक परिदृश्य पर मजबूत पकड़ है। उन्होंने सभी को काबू में कर रखा है। मेरी ये गलतफहमियां भी दूर हो गयीं जब पता चला कि भारत के प्रधानमंत्री को तो ये भी नहीं मालूम कि  पीएमओ ने एक साल में क्या काम किया ? वे  तो  देश और दुनिया में घूम-घूमकर विकास,सुशासन और योग का सिर्फ डंका  ही बजाये जा  रहे हैं  जबकि उनके ही कुछ मंत्री -मुख्यमंत्री इस देश को चूना लगाये जा  रहे हैं। 

       जब यूपीए के दौरान कोई  घोटाला उजागर होता था तो मोदी जी से ज्यादा तेज आवाज सुषमा जी की हुआ करती थी। कई बार तो वे मनमोहन सरकार को संकट में देख नाची भी। अब उनके 'सतकर्म' पर 'नमो' का मौन मनमोहन के मौन पर  भारी पड़ रहा है।मोदी सरकार के मंत्री सुषमा -वसुंधरा -ललित मोदी गेट व्  व्यापम जैसे अनेक घोटालों  के  बचाव  में कांग्रेस के पापों को बार-बार गिनाकर  कब तक जस्टीफाइड  करते रहेंगे ?

                                           

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