इंदौर दिनांक ६-अप्रैल ,प्रीतमलाल दुआ सभागार में सम्पन्न अभ्यास मंडल की मासिक व्याख्यानमाला में देश के पूर्व नौसेना प्रमुख ने जो उदगार व्यक्त किये ;वे सम्पूर्ण आवाम तक पहुंचे तो निसंदेह भारत की जन-बैचेनी को समझने में मदद मिलेगी.पूर्व एडमिरल विष्णु भागवत ने इस अवसर पर जो विचार प्रस्तुत किये,उन्हें सुनकर सभागार से बाहर निकले श्रोताओं {जसमें अधिकांश वुद्धिजीवी और वरिष्ठ नागरिक थे}की सधी हुई प्रतिक्रिया थी कि आज़ादी के बाद पहली बार किसी आला-अधिकारी ने देश की पीड़ा को समझा है.
पूर्व नौसेना प्रमुख ने कहा-देश में भृष्टाचार का मसला सिर्फ लोकपाल बिल से हल नहीं किया जा सकता. उनका कहना था कि कार्पोरेट घरानों ने भारत कि सम्पूर्ण व्यवस्था को खरीदकर भृष्ट और पंगु बना दिया है.सरकार सिर्फ पूंजीपतियों
के हित-साधना में व्यस्त है ,केंद्र सरकार द्वारा माओवाद और आतंकवाद को दवाने के लिए सेना का उपयोग गलत है.यदि ये सिलसिला जरी रहा तो गृह युद्ध की स्थिति आ सकती है.भृष्टाचार रोकने के लिए लोकपाल बिल लाने की मशक्कत निरर्थक ही सावित होगी .उन्होंने प्रतिप्रश्न किया किया कि लोकपाल कौन होगा?किसके हितों का धारक होगा?क्या वह कार्पोरेट लाबी से टक्कर ले सकेगा?वर्तमान में देश के सारे संसाधनों पर देशी धनाड्य वर्ग और विदेशी कार्पोरेट ने कब्ज़ा कर लिया है.इनके दलालों ने सारी मशीनरी को ही भृष्ट बना डाला है.
अपने धाराप्रवाह संबोधन में एडमिरल {भूतपूर्व}विष्णु भागवत ने खुलकर आरोप लगाये की कार्पोरेट लाबिस्ट के नाम से कुख्यात दलालों ने जनता की संपत्ति को कोडियों के दाम हासिल कर खरबों का घोटाला कर देश को जर्जर बना डाला है.अब सरकार और उसकी नीतियाँ भी देशी -विदेशी पूंजीपति बना रहे हैं.
सेनाओं में कमीशनखोरी परवान चढ़ी हुई है.व्यवस्था ही कमीशनखोरों को सौंपी जा चुकी है.अनाप-शनाप गैर जरुरी हथियार खरीदने के बजाय देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए स्पेशल फ़ोर्स व् सपोर्ट सर्विसेज को मजबूत किया जाना चाहिए.रक्षा शोध, अनुसन्धान पर ध्यान देना चाहिए.
पूर्व सेना प्रमुख ने अपनी बात धर्म-अध्यात्म-से प्रारंभ की थी;उन्होंने रामायण,महाभारत ,ईशोपनिषद,के उदाह्रानो से अहिंसा-समता-भाईचारा कायम रखने वाली व्यवस्था की जरुरत से लेकर ईराक,अफगानिस्तान और लीबिया पर पश्चिमी राष्ट्रों की हथियार खपाऊ हिंसक प्रवृत्ति को श्रोताओं के सामने विस्तार से उजागर किया.
श्री भागवत ने कहा कि बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को अनेक सुविधाएँ और छूट दी जा रही है.इसमें जनता कि पसीने से कमाई गई पूँजी;,जो की खरबों में है,सेंत-मेंत में नहीं लुटाई जा रही ,बल्कि उसका एक बड़ा हिस्सा देश के गद्दारों तक भी पहुँच रहा है.उन्होंने कहा-देश के करोड़ों लोग आज भी झुग्गी -झोपड़ियों में अमानवीय जीवन वसरकर रहे हैं.उधर दूसरी ओर हम बहु-राष्ट्रीय निगमों को अनमोल जमीने मुफ्त में बाँट रहे है.आम जनता पीने के पानी को तरस रही है और हमारी सरकारें नदियाँ बेच रहीं हैं.उन्होंने सवाल किया क्या यही राज धर्म है?आखिर हम किधर जा रहे हैं?
इस अवसर पर पत्रकारों [खास तौर से नई दुनिया}के सवालों के जबाब में उन्होंने कहा-देश में माओवाद -नक्सलवाद-आतंकवाद और जन-संघर्षों का सबसे बड़ा कारण -भृष्टाचार ही है.अपने वक्तव्य के प्रारंभ में उन्होंने महान क्रांतीकारी स्वर्गीय का.होमी ऍफ़ दाजी को शिद्दत से याद कर उनके विचारों की प्रासंगिकता प्रतिपादित कर तमाम श्रोताओं को चमत्कृत किया.इस अवसर पर श्रीमती पेरिन दाजी भी उपस्थित थी जिन्हें मंच से उतरकर एडमिरल भागवत(पूर्व) ने सेलूट किया और कुशल क्षेम पूँछी.
सेकड़ों की तादाद में उपस्थित विभिन्न विचारों के श्रोता और सुधीजनों को ऐसा महसूस हुआ कि वैचारिक स्तर पर पूर्व नौसेना प्रमुख ही नहीं बल्कि सम्भवतः सम्पूर्ण सैन्य बल पूरी शिद्दत के साथ भारत की सर्वहारा क्रांति के लिए ,देश की जनतांत्रिक शुद्धिकरण के लिए और भारतीय जनता के दुख-भंजन के लिए प्रतिबद्ध है.
श्रीराम तिवारी
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