प्रकृति पर मानव की विजय या ,
मुसीवतों का पिटारा है!
साइंस तरक्की कर आगे बढ़ा या ,
महज दिग्भ्रमित नारा है!!
चुनौतियां मझधार की या ,
अवलंब का किनारा है!
जो था पहले अभावों का मारा ,
अब आविष्कारों का मारा है!!
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पहली पीढी के अनुसंधानों ने ,
प्रगति का दुरुह्तर काम किया!
दूजी पीढी ने मानव को ,
संचार क्रांति का नाम दिया!!
तीसरी पीढी ने ,बाजारों को ,
मोबाइल से पाट दिया!
चौथी पीढी की टेकनालाजी,
सारा ट्रेफिक जाम किया!!
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पांचवी पीढी भेद मिटाती ,
इक गाँव हुआ जग सारा है!
वन -जी टू-जी थ्री-जी सरजी
बेकारी का मारा है!!
आदिम युग की गहन गुफा में ,
भटक रहा जग सारा है!
मानव का मानव हो बंधू ,
यह सन्देश हमारा है!!
श्रीराम तिवारी
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