शब्द गीत छंद में,प्रबंध अनुबंध में ,
सृजन की साधना सरस रस धार हो!
कामना अभीष्ट की चेतना समष्टि की,
काव्यानुभूति में करुण पुकार हो!!
एकता की अभिधा,संघर्षों की लक्षणा,
आतताईयों का प्रवल-प्रतिकार हो!
सुबह अलसाई सी शाम सरसाई सी,
घर आंगन में क्रांति बहार हो!!
श्रीराम तिवारी
श्रीराम तिवारी
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