बुधवार, 6 अप्रैल 2011

सामाजिक-राजनैतिक जीवन में काम करने वालों का निजी जीवन बुद्ध देव जैसा

     दुनिया के छोटे-बड़े २०० देशों की सूची में भारत कई मामलों में सिरमौर है.यहाँ ताजमहल है,यहाँ दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत कश्मीरी वादियाँ हैं.यहाँ तीन ओर 
समुद्र और उत्तर में पर्वतराज हिमालय है.यहाँ शानदार  ऋतुचक्र है. हरे-भरे खेत  हैं,चाय बगान हैं,कपास होता है,गेंहूँ-चावल ,मछली ,मसालों में,दुग्ध क्रांति में और अकूत खनिज-सम्पदा में भारत दुनिया में अग्रिम पंक्ति का राष्ट्र है.दुनिया की १२१ करोड़ आबादी  इस देश में रहती है.,यह दुनिया का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक राष्ट्र है.यहाँ ढेरों धरम-मज़हब हैं.दुनिया में सबसे अधिक बोलियाँ-भाषाएँ और जीवन पद्धतियाँ यहाँ पाई जाती हैं.यह क्रिकेट का दिग्विजयी सम्राट है.यहाँ सबसे ज्यादा धनिक {अमेरिका के एक-दो पूंजीपति अपवाद हैं} श्रेष्ठी पाए जाते हैं .यहाँ सर्वाधिक लुटेरे हैं.यहाँ  सर्वाधिक भिखमंगे   हैं, यहाँ  दुनिया के बड़े-बड़े ठग और बड़े-बड़े कपटी क्रूसेडर है.
                            भारत की रग-रग में मिलावट,जातीयतावाद,क्षेत्रवाद,भाषावाद,पूंजीवाद,सम्प्रदायवाद ,रिश्वत्वाद और भृष्टाचार समाया हुआ है
अब तो हिमालय पर भी गंगा प्रदूषण  की शिकार है.जो सत्ता में होता है वो बदनाम  होता है.जो सत्ता से बाहर हो जाता है,जनता उसके कुकर्मों को भुला देती है.जहां ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठां  या धर्मनिरपेक्षता है वहां भी बदबूदार हवाएं फिजां में ज़हर घोलने पहुँच रही हैं.एक सरकारी सर्वे के अनुसार   पश्चिम बंगाल के वर्तमान मुख्यमंत्री कामरेड बुद्धदेव भट्टाचार्य जी देश के सबसे कम आय  वाले  मुख्यमंत्री बताए गए  हैं.जिस  देश में चंद दिनों  के लिए  मुख्यमंत्री  बनाने वाला मधु कोंडा चंद दिनों में ही चार हज़ार करोड़ रुपये  का मालिक बन जाता है, वहीँ वर्षों  से राज्य  की राजनीती में स्थापित बुद्धदेव भट्टाचार्य ने अपने जीवन काल में कुल पञ्च हज़ार रुपये  ही संचित किए  है. उनके पास  दो कमरों का किराये का मकान है. चुनाव आयुक्त  को प्रस्तुत नामांकन पत्र में अपने बारे में जानकारी देते हुए  भट्टाचार्य जी ने उल्लेखित किया  की उनके परिवार में वे तथा उनकी पत्नी  एक कंपनी में काम करती हैं जिनकी कुल  बचतें छः लाख  हैं.
         महाराष्ट्र  में एक मामूली घोडा व्यापारी  गुलामहसन अली घोड़े वाला ६० हजार करोड़ आयकर देने को तैयार है. ऐ राजा, उस्मान बलवा ,टाटा-रादिया तो हांड़ी का एक चावल भर हैं ,एक सीएम् डी की बीवी  ४० सोने की ईंटों को रिश्वत में लेते हुए अपने पति को जेल भिजवा चुकी है.
    जो अभी -अभी २-४ साल पहले गली -गली फेरी लगाया करते थे वे भारती बंधू और अम्बानी बंधू आज दुनिया के बाज़ार में ताकत के प्रतीक बन चुके हैं.जहां१० साल  पहले इस देश में कुल जमा ४-५ पूँजी पति हुआ करते थे अब इनकी संख्या ६८ को पार कर चुकी है.राजनीती भी अब कार्पोरेट सेक्टर की हिमायती बन कर रह गई है ,देश में नंगे-भूखों  की तादाद ३३ करोड़ तक पहुँच चुकी है.
     सूखा-पीड़ित, पाला-तुषार पीड़ित किसान हजारों की तादाद में आत्म-हत्याएं कर रहे हैं.उच्च शिक्षित लाखों नौजवान निजी क्षेत्र में अल्प पारिश्रमिक पर १२-१४ घंटे काम करने को बाध्य हैं.अशिक्षित नौजवानों ,ग्रामीणों और अशःक्त जनों को को एक वक्त का भोजन भी हर समय उपलब्ध करा पाना मुमकिन नहीं ,भले ही गोदामों में गेहूं सड़ता रहे.
      इस विकट स्थिति में आशा की किरण तीन जगहों पर दिखाई दे रही है .
  एक-  देश की न्याय पालिका ने उत्तरदायित्व हेतु कार्यपालिका और व्यवस्थापिका को बार-बार चेताया है. दो- बुद्धदेव भटाचार्य ,वी एस अच्युतानंदन,और मानिक सरकार ने अपनी साफ़ स्वच्छ छवि को कलुषित नहीं होने दिया.इसका श्रेय वामपंथ की क्रांतिकारी विचारधारा को जाता है.
 तीन-गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्त्ता -अन्ना हजारे ने भृष्टाचार के खिलाफ भूंख हड़ताल करके देश की जनता को जगाने का उपक्रम किया है/
      उक्त तीन सकारात्मक बिन्दुओं को मजबूती से थामकर भारत आगे बढेगा ,इसमें किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए.                                     श्रीराम तिवारी  
       
                     

1 टिप्पणी:

  1. बुधदेव जी सच्चे बामपंथी होने के कारण ही ईमानदार हैं.भ्रष्टाचार की जड़ें ढोंग-पाखंड पर आधारित संस्कृति में हैं;जब तक उसे नहीं समाप्त किया जाता तब तक भ्रष्टाचार का उन्मूलन नहीं होगा.बामपंथ तो धर्म और संस्कृति का खेल साम्राज्यवादी आर.एस.एस. आदि के लिए खुला छोड़े है तब सफल कैसे होगा?

    जवाब देंहटाएं