गुरुवार, 11 फ़रवरी 2021

गधाजीवी

 पाखंडियों ने मूर्ख अंधभगतों का दिमाग खराब कर रखा है! किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिये *सूप बोले सो बोले छलनी क्यों बोले, जामें 72 छेद हैं?* वाली कहावत चरितार्थ हो रही है!

अंधभगतों के गुरू घंटाल से लेकर उनके बगलगीर नशेड़ी गँजेड़ी चिलमखोर भी यह भूल गये कि 75 दिन के किसान संघर्ष में जो 160 किसान शहीद हुए और जो 450 किसान गायब हैं, उनके परिवारों पर क्या बीत रही है! यदि शहीद होने वाले लोग किसान नहीं हैं तो क्या हैं? कौन हैं? सरकार हरएक का नाम पता उजागर करके साबित करे कि वे किसान नही थे! यदि पीएमओ सावित कर दे कि आंदोलन में शहीद होने वाले किसान नही थे तो मैं भी अंधभक्त हो जाऊंगा!
हाथ कंगन को आरसी क्या? सत्ता के भड़ैत उन शहीदों के गाँव घर जाकर प्रत्यक्ष खुद क्यों नहीं इस दर्दनाक स्थिति का पता लगाते? शहीदों के उजड़े घरों पर शोक व्यक्त करने के बजाय गधाजीवी पाखंडी लोग किसानों मजदूरों और क्रांतिकारियों का उपहास कर रहे हैं!

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