शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2021

आखरी कील

 मैने दीवाल पर कील ठोकी,दीवाल मजबूत थी अत: कील मुड़ गई! मैने एक दूसरी कील दीवार पर उसी जगह आजमाई, वो थोड़ी सी अंदर गई ,लेकिल वह भी मुड़ गई! मैने जब तीसरी कील उस जगह ठोकी तो वह फिट हो गई!

किंतु इसका यह मतलब नही कि पहली या दूसरी कील बेकार गई! दरसल उन कीलों ने अपनी अपनी खास भूमिका अदा की जबकि नादान लोग श्रेय सिर्फ आखरी कील को देते हैं!
भारतीय किसान धरना आंदोलन संसार का सबसे सशक्त आंदोलन कहा जा सकता है!लेकिन जिन्होंने भारत का और विश्व का क्रांतिकारी इतिहास पढ़ा है,वे जानते हैं कि यह पहला किसान आंदोलन नही है ! बल्कि सभ्यता के प्रारंभ से ही दमनकर्ता ताकतों के खिलाफ शोषित वर्ग का और दमनकारी शासकों के खिलाफ किसानों का संघर्ष तो हमेशा से चला आ रहा है!
इतिहास का अनुभव बताता है कि शासक वर्ग का रवैया यदि अमानवीय हो तो सुभद्रा पुत्र अभिमन्यु की तरह फोकट में शहादत देने से कोई लाभ नहीं! मेरा ख्याल है कि जब शासक वर्ग अमानवीय हो तो आंदोलन की रणनीति दूसरी बननी चाहिये!
इसके लिये अग्रिम कतार के जुझारू किसान योद्धाओं का जिंदा रहना जरूरी है!बिना पानी, बिजली और बिना सूचना संपर्क के बिना इंटरनेट के इस तरह के आंदोलन करते जाना नादानी होगी!
इसलिये बिना शर्त, बिना बातचीत के सभी किसान घर लौटें,वक्त का इंतजार करें!जब किसान विरोधी कानून अमल में लाया जाएगा ,तब गांधीवादी तरीके से उसका बहिष्कार किया जाए! यदि किसान जिंदा रहेंगे तो अगला संघर्ष और तेज कर सकेंगे!

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