जो सिस्टम को चलाता है,
शायद उसे ही तंत्र कहते हैं!
मशविरे लोक कल्याण के सार्थक,
सर्वकालिक,उन्हें मन्त्र कहते हैं!!
मानवहित आविष्कृत भौतिक
साधन उन्हें ही यंत्र कहते हैं!
शोषण,उत्पीडन,हिंसा,खनन माफिया,
व्यापम नशाखोरी,घूसखोरी,मक्कारी,
इन्हें षड्यंत्र कहते हैं!
जिसमें मेहनतकशों किसानों की कद्र न हो,
उसे धनतंत्र कहते हैं!
जहाँ पर अंधेरनगरी चौपट्ट राजा हो,
उसे गणतंत्र कहते हैं !! :-श्रीराम तिवारी
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