गुरुवार, 29 सितंबर 2016

युध्द होगा तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा !

भारत के प्रति पाकिस्तानी हुक्मरानों का शत्रुतापूर्ण व्यवहार और वैचारिक दुर्भावना किसी  से छिपी नहीं  है ! दुनिया के तमाम अमनपसन्द लोग पाकिस्तान की इस नापाक नीति नियत से वाकिफ हैं। लेकिन दुनिया में बहुत कम लोग हैं जो पाकिस्तानी दहशतगर्दी के खिलाफ बोलने और भारतकी न्यायप्रियता के पक्ष में खड़े होनेका माद्दा रखते हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान रुपी पूरे अंधकूप में ही भारत विरोध की भाँग घुली है। पाकिस्तान के साहित्यकार,कलाकार और बुद्धिजीवी  या तो कायर हैं या सब नकली हैं। यदि वे ज़रा भी रोशनख्याल हैं तो अपनी  'नापाक'  फ़ौज द्वारा बलूच लोगों पर किये जा रहे जुल्म के खिलाफ क्यों नहीं बोलते ? पाकिस्तानी कवि,  पत्रकार ,लेखक ,संगीतकार ,कलाकार और गायक सबके सब मुशीका लगाए बैठे हैं। पीओकेमें हो रहे फौजी अत्याचार के खिलाफ,सिंधमें  गिने-चुने शेष बचे हिंदुओं पर  हो रहे अत्याचारके खिलाफ और अल्पसंख्यकों के  खिलाफ पाकिस्तानी  आवाम की चुप्पी भी खतरनाक है।

पाकपरस्त आतंकियों ने  भारतको लहूलुहान कर रखा है ,क्या पाकिस्तान के वुद्धिजीवियोँ  को इतना सहस नहीँ कि  इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठायें ?क्या उन्हें यह नहीं मालूम कि पाकिस्तान द्वारा भारत पर थोपे गए यद्ध का नतीजा क्या होगा ? वेशक  भारतीय जन -मानस  और मीडिया भी अविवेकी वातावरण से दिग्भर्मित है। कोरे राष्ट्रवाद की धुन में हर कोई नीरोकी तरह बांसुरी बजा रहा है। मौजूदा भारतीय शासक वर्ग द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ बेजा वयानबाजी तो खूब जारी है ,किन्तु अभी तक ये  पाकिस्तान का एक मच्छर भी नहीं मार पाए हैं !

लेकिन इसके वावजूद पाकिस्तानी बुद्धिजीवियों और प्रबुद्ध आवाम [यदि कोई उधर है तो] को यह नहीं भूलना चाहिये कि पाकिस्तानी फ़ौज चाहे  कितनी ही बर्बर क्यों न हो ,चाहे कितनी ही  रक्तपिपासु -अमानवीय  क्यों न हो, चाहे सऊदी अरब अमेरिका और चीन की कितनी ही खैरात क्यों न खा ले ,चाहे चोरीके उपकरणों से परमाणु बमों का कितना ही बड़ा जखीरा क्यों न बनाले, किन्तु इतिहास साक्षी है कि उसे युद्ध में जीत कभी  हासिल नहीं हुई। वह जब -जब भी भारत से भिड़ा है तब-तब उसे केवल शर्मनाक हार ही हासिल हुई है। भारत की अधिसंख्य जनता के पास जब खाने के लिए मेकसिगन गेहूं भी नहीं था, भारतीय फ़ौज केपास सेकिंड वर्ल्डवार की 'भरमार' बंदूकें भी पर्याप्त नहीं थीं, तब १९६५ में और १९७१ में भारत की जनता के सहयोग से भारतीय सेना ने पाकिस्तान को ध्वस्त किया है। वर्तमान में तो भारतीय सेना के पास सब कुछ है ,अतः पाकिस्तान की अमनपसन्द आवाम को समझना चाहिए कि यदि युध्द होगा तो पाकिस्तान खत्म हो जाएगा ? वेशक नुकसान भारत का भी होगा ,और हो सकता है यह नुकसान पाक से ज्यादा हो ! किन्तु भारत के १२८ करोड़ में से  यदि २८ करोड़ भी युद्ध में काम आ गए तो २० करोड़ पाकिस्तानी भी तो मरेँगे। मतलब की पाकिस्तान खत्म ! चूँकि भारत  १०० करोड़ की आबादी के  साथ  युद्ध के बाद भी जिन्दा रहेगा। पाकिस्तानी आवाम,मीडिया, व्यापारी ,किसान-मजदूर,लेखक ,शायर , बुद्धिजीवी और अमनपसन्द लोग अपने नेताओं के ,अपने मजहबी हुक्मरानों के और अपनी पाकिस्तानी फ़ौज के  जनरलों के घटिया मंसूबे नाकाम करें ! खुदा के वास्ते उन्हें  भारत के खिलाफ सनातन  शत्रुता भड़काने वालों पर अंकुश लगाना चाहिए ! जैसेकि भारत की अधिकांस आवाम और नेताओं ने अमन के द्वार कभी बन्द नहीं किये !

 वेशक यदि भारत पर युद्ध थोपा गया  तब 'युद्ध' के बारे में मेरे जैसे अमनपसन्द और अन्तर्राष्टीयतावादी का भी वही सिद्धांत होगा  जो  भगवान् श्रीकृष्ण ने  महाभारत युद्ध के समय पेशअर्जुन के समक्ष पेश किया था। भारत की अमनपसन्द आवाम ने भले ही आचार्य चाणक्य , विक्रमादित्य ,समर्थ रामदास ,छत्रपति शिवाजी ,बाजीराव पेशवा, मेकियावेली, गैरीबॉल्डी ,नेपोलियन आइजनहॉवर , चर्चिल, हिटलर ,मुसोलनी, टालस्टाय ,लेनिन,स्तालिन , माओ होचिमिन्ह की युद्ध नीतिको नजर अंदाज कर दिया हो ,किन्तु  शहीदेआजम भगतसिंह के शब्द अभीभी भारतीय आवाम की  प्राणवाहिनी धमनियों में  प्रतिध्वनित हो रहे हैं कि   ''किसी देश या कौम की  वास्तविक रक्षक जनता-जनार्दन  होती है'' और  ''जब तलक दुनिया में शक्तिशाली लोगों द्वारा निर्बल और सभ्य लोगोंका शोषण-उत्पीड़न होता रहेगा ,जब तलक सबल समाज द्वारा निर्बल गरीब समाज का  शोषण होता रहेगा ,जब तलक दुष्ट- बदमाश शक्तिशाली राष्ट्रों द्वारा 'निर्बल' राष्ट्रों का [अपमान]उत्पीड़न होता रहेगा तब तलक 'अमन के लिए' हमारा संघर्ष -युद्ध जारी रहेगा ! '' श्रीराम तिवारी !

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