रविवार, 18 सितंबर 2016

सीमाओं पर जब भारतीय फ़ौज ही असुरक्षित है तब देश का क्या होगा ?

 इसमें कोई संशय नहीं कि 'पाकिस्तानी शासक' बड़े बदमाश हैं।' पाकिस्तानी शासक' का अभिप्राय मात्र दिखावे की चुनी हुई सरकार नहीं है। बल्कि इसमें पाकपरस्तआतंकी और बर्बर निशाचरी पाकिस्तानी आर्मी भी शामिल है। पाकिस्तानी शासकों की बदमाशियाँ  गिनाई जाएँ तो जिंदगी गुजर जायेगी,किन्तु गिनती कभी पूरी नहीं होगी। लेकिन चार बदमाशियाँ जरूर काबिले गौर हैं। पहली बदमाशी यह कि पाकिस्तान शासकों का पहला उद्देश्य है-कश्मीर हड़पना और भारत को बर्बाद करना। दूसरी बदमाशी है कि भारत और उसके कश्मीर से ही कुछ गद्दार खोजकर ,उन्हें आत्मघाती मजहबी फिदायीन बनाना और भारत में जेहादके बहाने दहशतगर्दी-अशांति फैलाना। तीसरी बदमाशी है,भारतीय अर्थव्यवस्था को चोट पहुँचाना ,उसके लिए बांग्लादेश,नेपाल  श्रीलंका और समुद्र के   रास्ते से नकली मुद्रा - करेंसी भारत में खपाना। चौथी बदमाशी यह है कि इस्लामिक जगत को बेबकूफ बनाने के लिए ,पाकिस्तानी शासक अपने आपको 'जेहादी'- इस्लाम परस्त प्रचारित करते हैं। जबकि व्यवहार में वे हिंदुओं की भगवद्गीता का ही अनुशरण करते हैं !दरअसल भारत पाक सीमाओं पर जो हो रहा है उसमें भारत का रुख उस निराश अर्जुन की तरह है जो सामने खड़े शत्रुओं में 'बंधू -बान्धव' को देखकर अपन गांडीव नीचे रख देता है। जबकि पाकिस्तानका रुख उस अश्वत्थामा की तरह है जो धोखे से रात के अँधेरे में द्रौपदी पुत्रोंको मार डालता है।

यथार्थ के धरातल पर ये पाकिस्तानी शासक अपने आपको जेहादी सावित करने के लिए समय-समय पर सीमाओं पर और खुद पाकिस्तान के अंदर ईसाइयों,शियाओं,हिंदुओं ,बलूचों,सिंधियों ,पख्तूनों और पाकिस्तानी बच्चों को  मरवाते रहते हैं। विचित्र बिडम्बना है कि वे इस उद्देश्य के निमित्त व्यवहार में 'गीता' के सन्देशों पर अमल करते रहते हैं। महाभारत युद्ध के प्रथम दिन जब अर्जुन ने 'अपने ही कुल के लोगों'से लड़ने से मना किया तो भगवान् श्रीकृष्ण ने उसे अठारह अध्याय सुना डाले ! जिनका सारतत्व है ''तस्मातदुत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धयाय कृतनिश्चयः '' - [भगवद्गीता -२-३६].इस श्लोक से प्रेरणा लेकर पाकिस्तानी शासक भारत के खिलाफ अनवरत परोक्ष युध्द कर रहे  हैं। जबकि भारत के नेता  इस अनवरत जंग को केवल आतंकी  ही हमला 'बता रहे हैं। भारत के सत्ताधारी शासकों द्वारा पठाकोट की तरह  हर असफलता पर  स्याही फैंकने की शर्मनाक कोशिशें जारी हैं। वे सत्ता प्राप्त करने के लिए 'हिंदुत्व' को  हथियार बनाते हैं ,लेकिन जब सत्ता मिल जाती है तो श्रीकृष्ण के उपदेश भूल जाते हैं।

भले ही पाकिस्तान आज एक अलग देश है, किन्तु जब श्रीकृष्ण ने 'महाभारत युद्ध'से पूर्व कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को उपदेश दिया था ,तब तो पाकिस्तान वाला भूभाग भी हस्तिनापुर या अखण्ड  भारत में ही आता था। और चूँकि पाकिस्तानी शासकों के लहू में भी उस 'कुरुक्षेत्र'वाली परम्परा का कुछ तो असर है। इसलिए  जिस तरह रात के अँधेरे में द्रोण पुत्र अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पाँचों पुत्रों को सोते हुए मार डाला था,ठीक उसी तरह पाकिस्तानी दहशतगर्द और पाकिस्तानी रेंजर्स भी जबतब रात के अँधेरे में भारतीय फौजियों को सोते हुए मार डालते हैं। क्योंकि वे भारत की फ़ौज का जागते हुए सामने से मुकाबला नहीं कर सकते। हालाँकि अश्वत्थामा वाली यह कायराना  हरकत श्रीकृष्णको तो मंजूर नहीं थी ,किन्तु उनके ''युद्धायकृत निश्चयः '' वाले सिद्धांत के अनुपानल में तो पाकिस्तानी शासक वेशक अव्वल हैं।

श्रीकृष्ण के पुरातन अनुयाइयों [पाकिस्तानी हमलावरों ]ने कश्मीर के उड़ी सेक्टर में  १८ सितम्बर रविवार  सुबह पांच बजे , डेढ़ दर्जन सोते हुए  भारतीय सैनिकों को जिन्दा जला दिया। यह पहली घटना नहीं है, कि पाकिस्तान के नापाक हमलावरों ने  छिपकर रातके अँधेरे में हमला किया हो ! अब चाहे कोई माने या ना माने किन्तु उन्होंने भगवान् श्रीकृष्ण के उस  सन्देश ''तस्मात्युध्यस्व भारत' का पालन तो अवश्य  किया  है । उन्होंने यूपीए के दौर में भी डॉ  मनमोहनसिंह के राज में  एक रात को दो भारतीय फौजियों के सर काटकर यही सिद्ध किया था। उससे  पहले अटलजी के राजमें भी  रातोंरात पूराका पूरा कारगिल और द्रास  इन पाकिस्तानियों ने हथिया लिया था।तब सैकड़ों भारतीय जवानों  की कुर्बानी के बाद और अंतर्राष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव  से  भारत को बमुश्किल उस युद्ध से निजात मिली थी। तब भी भारत हमलावर नहीं बल्कि आत्मरक्षा की भूमिका में ही था। अक्सर यह देखा गया है कि 'संघ परिवार' वाले ,दक्षिणपंथी 'राष्ट्र्वादी' नेता और राजनीतिज्ञ लोग जब विपक्ष में होते हैं, तभी उन्हें 'राष्ट्रवाद'  याद आता है। हमारे ५६ इंच वाले जब विपक्ष में थे तब बार-बार बोला करते थे 'हम होते तो घुसकर मारते' !

हम  भारत के जनगण  पाकिस्तान सरकार  ,पाकपरस्त आतंकियों और पाकिस्तानी आर्मी को चाहे जितना कोसते रहें और गालियाँ देते रहें ,किन्तु यह कटु सत्य है कि पाकिस्तानी शासक 'गीता के संदेशों' का अक्षरशः पालन कर रहे हैं ! जबकि भारत के 'आर्यपुत्र' गीता सहित तमाम आर्ष ग्रन्थों की आरती उतारने में व्यस्त हैं।कुछ तो  भगवान् श्रीकृष्ण के बचनामृत -श्रवण में ही मगन रहते हैं।हमारे धर्मोपदेषक 'बाणी विलास'में मगन हैं। हजारों बाबा-बाबियां ,साधु संत-महात्मा और शँकराचार्य रात दिन 'गीता' पर प्रबचन दे रहे हैं। संघ परिवार और भगवा ब्रिगेड का तो 'जन्मसिद्ध अधिकार' ही इस उद्देश्य के लिए तय हुआ है। भगवान् श्रीराम,श्रीकृष्ण ,गौतम,महावीर , शंकराचार्य और स्वामी दयानन्द सरस्वती के धर्म सम्मत  सिद्धांतानुसार  ही इस 'आर्यभूमि' का शासन -प्रशासन चलाना -सुनिश्चित करने के लिए,अखण्ड भारत निर्माण के लिए डॉ मुंजे,डॉ हेडगेवार ,गुरु गोलवलकर और बाला साहिब देवरस ने अपना जीवन खपाया था ,लेकिन अब उनके आधुनिक उत्तराधिकारी पथभृष्ट होकर सत्तानुरागी हो गए हैं। उधर रोज -रोज पाकिस्तानी दहशतगर्द भारत के सुरक्षा बालों को बुरी तरह मार रहे नहीं इधर हमारे नेता केवल 'स्टेटमेंट' दे रहे हैं कि ''ईंट का जबाब पत्थर से देंगे '' !  खेद है कि इन घटिया बयानों पर ही कुछलोग लुँगाड़े बाग़-बाग़ हो रहे हैं। कुछ राष्ट्र्वादी युवा भी इन बयानों पर बृहनल्लाओं की तरह तालियां पीट रहे हैं।

वेषक आडवाणीजी की रथयात्रा और गोधराकांड के हत्यारों की असीम अनुकम्पा से भाजपा और संघ परिवार के अच्छे दिन आये हैं। लेकिन उनके स्वार्थ के कारण रामलला अबतक  टाट में हैं और भाजपा नेता ठाठ में हैं.इसी तरह मोदीजी की  कारपोरेट सेक्टर समर्थक नीतियों की असीम अनुकम्पा से अब 'संघ परिवार ' के  स्वदेशी मूल्य और राष्ट्रवादी सिद्धांत केवल चुनावी मेनिफेस्टो में ही शेष बचे हैं। इसका 'प्रत्यक्षकिम प्रमाणं'  है कि वर्तमान अच्छे दिनों में भारतीय फौजियों को रात के अंधरे में ज़िंदा  जलाया जा रहा है. हमारे 'देशभक्त 'शासक पाकिस्तान को सबक सिखाने की बजाय अपना चुनाव मकसद साधने के लिए देश के अंदर साम्प्रदायिकता भड़काने में जुटे हैं।  कुछ लोग तो पाकिस्तान को 'नरक' बताकर घर में सो जातेहैं। उनके ऐंसे बयानों से प्रेरित पाकिस्तानी आतंकी भारत को श्मशान बनाने पर तुले हैं। अब तो वे परमाणु बम की धमकी भी दे रहे हैं। इधर हमारे सत्ताधारी नेता मोदी जी के भरोसे बैठे हैं कि वे सुदर्शन चक्र से पाकिस्तान का बलूचिस्तान काटकर साउथब्लाक में टांक देंगे ! भारत का मजदूर -किसान केवल महँगाई को रो रहा है ,उसे तो पाक प्रेरित आतंकवाद कोई खतरा ही नजर नहीं आता। और मध्यमवर्गीय युवा वर्ग केवल फेसबुक पर अपनी सेल्फी-फोटो देखकर ,नेताओं के जन्मदिन का जश्न मनाने में ही खुश है। कुछ लोगों को अपने परिवार की राजनीतिक से फुर्सत नहीं ,कुछ लोगों को आरक्षण और धर्म-मजहब से फुर्सत नहीं। देश केवल फौजी जवानों के भरोसे है। वेशक भारतीय फ़ौज तो दुनिया में बेजोड़ है , किन्तु  पता नहीं क्यों हमारे देश के नेता और फौजी जनरल इस महान  भारतीय फ़ौज का सही मार्ग दर्शन क्यों नहीं कर रहे हैं ! श्रीराम तिवारी !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें