शनिवार, 13 अगस्त 2016


विगत दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने  'गौरक्षकों' द्वारा दलितों की मार-कुटाई के संदर्भ में एक क्रांतिकारी बयान दिया था,'' ९०% गोरक्षक अनैतिक गोरखधंधे में लगे हैं,और वे  दलितों को मार रहे हैं ,वे मुझे गोली मार दें किन्तु दलितों और निर्दोषों को सताना बन्द करें''  इस बयान की भूरी-भूरी प्रशंसा सभी ने की थी। लेकिन कुछ धुर मोदी -विरोधियों ने मोदीजी के उस नेक बयानमें भी 'गंदगी'सूंघ ली। किसी ने मगरमच्छ के आंसू कहा ,किसी ने कहा - 'का वर्षा जब कृषि सुखाने ', किसी ने मोदीजी के इस बयान को गुजरात -यूपी के आगामी विधान सभा चुनावों में वोटों के नुक्सान की भरपाई निरूपित किया।मोदीजी के इस सार्थक-समसामयिक बयान पर उनके विरोधी कम प्रतिक्रिया  दे रहे हैं ,किन्तु मोदी जी के 'परिवारवाले' कुछ ज्यादा ही 'पीले-पीले ' हो रहे हैं।  प्रवीण तोगड़िया, चक्रपाणि ,शंकराचार्य और अन्य हिन्दू धर्मध्वज -स्वयम्भू गोरक्षक एकसाथ सब मिलकर मोदी जी पर अपने व्यंग बाण' छोड़ रहे हैं।

 विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ पदाधिकारी प्रवीण तोगड़िया ने रहस्योद्घाटन किया है कि  प्रधानमंत्री के उस बयान से उन्हें घोर पीड़ा हुई है। उन्होंने यह भी उद्घाटित किया कि गौरक्षक 'हिंदुत्ववादी' उन्हें [तोगड़िया]को गालियाँ दे रहे हैं  और प्रधानमंत्री को भला-बुरा कह रहे हैं। हम मानते हैं कि  तोगड़िया जी सच ही कह रहे होंगे। किन्तु उनकी इस स्वीकारोक्ति से यह सवाल भी उठ  रहा है कि जो लोग प्रवीण तोगड़िया को और प्रधानमंत्री जी को गालियां दे सकते हैं वे गौरक्षक ,गौसेवक,हिंदुत्ववादी और  'अनुशासित' लोग कितने खतरनाक हो सकते हैं ?इस घटना से यह भी सिद्ध होता है कि इन दक्षिणपंथी -प्रतिक्रियावादियों पर भारत के प्रगतिशील बुद्धिजीवियों ,वाम-धर्मनिरपेक्षतावादियों और सहिष्णुतावादियों ने अब तक जो आरोप लगाए हैं वे सही हैं।  जब 'स्वयम्भू देशभक्त' लोग अपनी ही पसन्दीदा और चुनी हुई सरकार पर यकीन न कर कानून को  हाथ में ले रहें हैं ,तो राष्ट्रविरोधी या आतंकी तत्वों से देशभक्तिपूर्ण आचरण की उम्मीद कैसे की जा सकती है  ?   श्रीराम तिवारी

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