मुक्ति संग्राम में मेरा ,अपने इष्ट से मिलन हो गया।।
पग शहीदों ने आगे धरा ,वो युग का चलन हो गया।
गुलामी के फंद काटने , जब जवानियाँ मचलने लगीं ,
तब क्रांति यज्ञ वेदी पर , शहादत का हवन हो गया।,,,,,[मुक्ति संग्राम में मेरा ……… ]
कालकोठरी में एक-एक क्षण , विप्लव के संग हम जिए,
जन -जन हुंकार जब उठी ,अरुण तब लाल हो गया।।
मानव इतिहास ने सभी ,ग्रन्थ रचे दासता भरे ,
स्वतंत्रता अहम हो चली , संघर्ष जब वयम हो गया।,,,,,,,,,[मुक्ति संग्राम में मेरा ,,,,,,,,,]
धुंध भरे व्योम में हम , धूमकेतु जब बन गए ,
गुलामी को चीरकर तब , राष्ट्र कुंद इंदु हो गया।।
कालजयी क्रांतियों के ,पृष्ठ कुछ हम भी लिख चले ,
विचारों के नीड में परम ,सत्य से मिलन हो गया।,,,,,,,,,,,,,[मुक्ति संग्राम में मेरा ……]
अंजुली में अर्ध्य को लिए, 'इंकलाब ' गुनगुना चले ,
छंदों के क्षीर सिंधु में , श्रेष्ठ महा मंत्र हो गया।।
जुल्म की सुनामियों के , क्रूर दिन जब लद चले ,
मुल्क की आजादी का , हमको इल्हाम हो गया।,,,,,[मुक्ति संग्राम में मेरा ....]
संघर्ष सिंधु मंथन का ,गरल कंठ हमने धरा ,
चूमा फांसी के फंदे को , मानों मीत से मिलन हो गया।।
सींच अपने लहू से हम ,नए वतन का सृजन कर चले ,
क्रांति का परचम लिए , धन्य अपना गमन हो गया।
मुक्ति संग्राम में मेरा , अपने इष्ट से मिलन हो गया।।
: -श्रीराम तिवारी:-
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