गुरुवार, 29 अगस्त 2024

"हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा"*

 मेरे प्यारे वतनपरस्तो...

सदा खुश रहो ...
सदा सुखी भव ...
मैं एक संप्रभु राष्ट्र हूँ ! मैं किसी के लिए मातृभूमि हूँ,किसी के लिए मादरे-वतन हूँ ! किसी के लिए सारे 'जहाँ से अच्छा हिंदोस्ता हमारा' हूँ।किसी के लिए केवल स्वार्थपूर्ण आरक्षण की वैतरणी हूँ ! किसी के लिए उदारीकरण,निजाकरण,भूमंडली करण का यूनीफार्म लेविल प्लेइंग फील्ड हूँ ! किसी के लिए मुक्त बाजार हूं,किसीके सुनहरे सपनों का *लोकतंत्रात्मक धर्मनिरपेक्ष -समाजवादी गणतंत्र* हूँ!किसी के लिए केवल पूंजीपतियों के चंदे से चल रही राजनैतिक पार्टी का सत्ता प्रतिष्ठान हूँ !
किसी के लिए लूटतंत्र, किसी के लिए *गजवा ए हिंद*,किसी के लिए लव जेहाद का नखलिस्तान हूं ! किसी के लिये महज *सल्तनत ए खुरासान* हूँ ! किसी के लिए धर्मांतरण की पवित्र उर्वरा भूमि हूँ ! किसी के लिए महज एक विस्तृत चरागाह हूँ !
आजादी मिलने के बाद मुझे नाहक बैरभावग्रस्त पड़ोसियों से जूझना पड़ रहा है।अमेरिका,कनाडा और इंग्लैंड की बदौलत मुझे (भारत को) चीन पाकिस्तान,नैपाल बांग्लादेश,मालदीव,श्रीलंका की ओर से हमेशा नफरत,धोखा,शत्रुता ही मिली है। फिर भी गनीमत है कि मैं जिंदा हूँ और न केवल जिंदा बल्कि वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक मूल्यों से आबाद हूँ!
दुश्मन देश चाहे कितनी ही कुटिल राजनीति कर ले,किंतु में हमेशा आबाद रहूँगा। इसीलिए मेरे कुछ चाहने वाले लिख कर परलोक चले गए :-
"कि सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तान हमारा !
हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलिस्तां हमारा!!"
या
"हस्ती मिटती नहीं हमारी, सदियों रहा है दुश्मन, दौरे जहां हमारा"*
*अल्लामा इक़बाल
जय हिंद !जय भारत !! जय जय महाकाल!
श्रीराम तिवारी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें