मेहनतकश सर्वहारा किसान मजदूर हूँ मैं,
हर खासो आम से कुछ कहना चाहता हूँ !
सदियों से सबकी सुनती रहा हूँ खामोश मैं ,
अब शिद्द्त के साथ कुछ कहना चाहता हूँ!!
इतिहास भूगोल राजनीती साइंस नव तकनीक,
कमप्यूटर,मोबाइल से जुदा कहना चाहता हुँ !!
ईश्वर अवतारों पीरों पैगंबरों संतों महात्माओं,
के इतर भी कुछ अधुनातन कहना चाहता हूँ!!
समाज सुधारक नहीं हुँ क्रांतिवीर भी नहीं हूं मैं,
फकत मनुष्य हूँ,पूछ सकते हो क्या चाहता हूँ!
न तख्तो ताज चाहिए ,न जन्नत-स्वर्ग के सपने,
सब्ज बाग भी नही,सम्मान से जीना चाहता हूँ।
युगो-ं युगों से जो बात सभी कहते आ रहे होंगे,
वो बात अब सर्मायेदारों से मैं कहना चाहता हूँ।।
मैं धरती,हवा,पानी,आसमान,सूरज चाँद,तारोंमें
सबमें बराबर बाजिब हक ही बॉटना चाहता हूँ।
जो सम्पदा समष्टी चैतन्य ने रची है सबके लिए,
उसे मैं प्राणीमात्र में बराबर बांटना चाहता हूँ।।
श्रीराम तिवारी
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