सच्चिदानंद रूपायै विश्वोत्पत्तिआदि हेतुवे।
ताप त्रय विनाशाय श्रीकृष्णाय बयम् नमः।।
(चित्र में श्रीराम तिवारी और नाती अक्षत श्रीकृष्ण के वेश में, चित्र 20 साल पुराना है)
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सच्चिदानंद रूपायै विश्वोत्पत्तिआदि हेतुवे।
हंस लम्बी उड़ानों के , पथ अपना संजोये हुए हैं।
दुनिया के जिस किसी देश में वे बहुसंख्यक हैं,वहाँ उन्हें शरियत कानून नही चाहिए और जहां वे अल्पसंख्यक हैं ,वहाँ उन्हें शरियत कानून चाहिये,यदि सरकार नही माने तो दंगा फसाद की आजादी चाहिये!
अपढ़ -अज्ञानी लोग 'योगेश्वर' भगवान श्रीकृष्ण को भूलकर, जिस 'माखनचोर' मटकी फोड़,गोपीजन चितचोर के पीछे पड़े हैं, जिसके पास गोपीजनों की बिरह व्यथा के अलावा और क्या शेष बचा है?