रविवार, 3 जनवरी 2016

इन श्मशान वैराग्य के क्षणों में भी सत्ता पक्ष के नेता किस बात पर मुस्करा रहे हैं ?


 पिछले साल फ़्रांस [पैरिस]पर  दो बार  आतंकी हमला हुआ। हर बार राष्ट्रपति फ्रांक्वा ओलांद ने उनके देश के पक्ष-विपक्ष को एकजुट कर आतंकी हमले से निपटने में फ़्रांस की जनता को भी विश्वास में लिया। इतना ही नहीं उन्होंने यूरोप,अमेरिका और यूएनओ  को भी इन आतंकी हमलों के खिलाफ और फ्रांसीसी जनता के पक्ष में  पूरी तरह लाम बंद  किया। इसी तरह पिछले साल अमेरिका में भी दो-तीन आतंकी एकाँकी अभिनीत हो चुके हैं। और बराक भाई[मोदी की भाषा में ] ने न केवल पेंटागन ,न  केवल नाटो देश  ,बल्कि यूएनओ में भी इन आतंकी  हमलों को लेकर अपने पक्ष में  तगड़ी लाम् बंदी करायी। ये बात जुदा है कि आतंकवादियों  को निपटाने के बहाने  अमेरिका और नाटो देश -ईराक  और सीरिया पर ही चढ़ दौड़े। भारत के पंजाब स्थित पठानकोट एयरबेस पर पाकपरस्त अथवा इस्लामपरस्त आतंकी हमले को ४ दिन हो गए है और अभी तक भारत के पक्ष-विपक्ष की संयुक्त बैठक तो दूर,केबिनेट की बैठक का सर्कुलर ही जारी नहीं  हो पाया है । प्रधान मंत्री जी 'योगमन्त्र' पढ़ रहे हैं।  रक्षा मंत्री जी सिर्फ सूचनाओं  का आदान-प्रदान कर रहे हैं। ग्रह मंत्री जी  आतंकवाद  को 'करारा 'जबाब देने  का  तकिया कलाम हजार बार दोहरा चुके हैं। अब कोई शक नहीं कि इस समय  भारत  की सुरक्षा का दायित्व अनाड़ियों के हाथों में है। खुदा खैर करे !

 पठानकोट  एयरबेस पर आतंकी हमले को तीन -चार दिन हो चुके  हैं। प्रारम्भ से ही सरकार समर्थक सूत्रों और कयासजीवी  मीडिया ने एनएसजी कमांडो तथा  सैन्य बलों की विजय के काल्पनिक गीत गाना शुरू कर दिया  था।परसों कहा गया कि  आतंकी हमलावरों को मार गिराया जा चुका है। कल के  अखवारों में 'विजयी मुद्रा' के फोटो भी अखवारों में छप -छपा गए। लेकिन  यह जीत की ख़ुशी कुछ मिनटों में काफूर हो गयी जब एयरबेस में पुनः फायरिंग शुरू  हो गयी। इस बदहवास आपरेशन की असफलता से न केवल राष्ट्रीय  सुरक्षा सलाहकार श्री  अजीत धोबाल  साहब  की योग्यता के परखचे दनादन उड़ने लगे ,बल्कि देश की  सचेतन आवाम के माथे पर भी पसीना  झलकने लगा ।  चूँकि  मामला देश की सुरक्षा का है इसलिए पूरा देश  इस जघन्य आतंकी  हमले के खिलाफ एकजुट होकर भारतीय सेना और  सरकार के साथ  चट्टान की तरह खड़ा है । किन्तु इस आतंकनिरोध  आपरेशन  की असफलता  ने भारत की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिए हैं।

पहले भी म्यांमार सीमा पर मिलिट्री आपरेशन  करने को " आतंकियों को भीतर  घसकर मारा'  बताया गया।  जल्दबाजी  में किये गए 'आपरेशन'  की बेजा ख़ुशी तब काफूर हो गयी ,जब म्यांमार  की सरकार  ने अजीत  धोबाल को बुलाकर अच्छी तरह ' शुद्द हिन्दी में समझा दिया ' । इसी तरह नेपाल में जाकर हमारे प्रधान मंत्री ने पशुपतिनाथ के मंदिर में शंख बजाकर न जाने कौनसा मन्त्र पढ़ दिया कि  नेपाल अब  भारत को दुश्मन राष्ट्र मानने लगा है। हमारे पीएम  पिछले दिनों काबुल क्या गए अफगानिस्तान में बमबारी रुक ही नहीं रही। मोदी जी ने तो पाकिस्तान में  बिना बुलाये ,बिना अपनी संसद को विश्वाश में लिए ही घुसकर कीर्तिमान बना दिया।   और नवाज  शरीफ की अम्मी के  चरण छूकर आशीष भी माँगा की 'हे माते ! आतंकियों से बचाओ !' किन्तु अम्मी का आशीष और नातिन की दुआएं कोई काम नहीं आईं। भारतीय फौजी सीमाओं पर  अब भी शहीद हो रहे हैं। मोदी जी की वतन वापिसी होते  ही हाफिज सईद और  पाकिस्तानी आर्मी के आदमख़ोर आतंकी कभी कश्मीर कभी पठानकोट और कभी  काबुल में  भारतीय वाणिज्य दूतावाश को निशाना बना रहे हैं।क्या विडंबना  है कि वर्तमान सरकार में किसी भी तरह  के हमलों से निपटने का माद्दा नहीं है। अब देश  की सुरक्षा भगवान भरोसे ही है।

  पाक प्रशिक्षित कुल जमा पांच आतंकियों को मारने में  पंजाब पुलिस ,भारत के ५०० जवान ,दर्जनों एनएसजी  कमांडो ,जनरल-कर्नल और खुद भारत सरकार की सम्पूर्ण मशीनरी को ४ दिन लग गए। इस आतंकी आपरेशन में सेना के लगभग १० जवान शहीद हो गये। गरुड़ के दो कमांडो ,एक-एक कर्नल और ब्रिगेडियर  भी शहीद हो गये। २० जवान बुरी तरह घायल हो गए। इसके वावजूद सत्ता पक्ष  के बड़बोले नेता गाल बजाने से बाज नहीं आ रहे हैं। कुछ सरकारी चम्मच और चमचियाँ तो वीर गाथाकाल के सामंती भांड हो रहे  हैं। इन विचारों को विपदा में भी  ढपोरशंख बजाने की पुरानी बीमारी है। 'अश्वत्थामा हतो -नरो वा -कुंजरो वा !'  चाहे कितने भी अभिमन्यु शहीद होते रहें लेकिन पाखंडियों  को उससे क्या ? इन श्मशान वैराग्य के क्षणों में भी सत्ता पक्ष के नेता  किस बात पर मुस्करा रहे हैं  ?  इतनी शर्मनाक हालात  में  भी नाच-गान रास -रंग जारी है। धिक्कार है !

  पठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के ७२ घंटे बाद सरकारी चैनल डी -डी न्यूज पर  खबर चल रही है कि  रक्षा मंत्री मनोहर परिकर ने प्रधान मंत्री  श्री नरेंद्र मोदी को इस आतंकी हमले की विधिवत सूचना दी है ! मुझे सरकारी चैनल -प्रसार भारती की इस खबर पर पूरा  यकीन है। अर्थात  हमारे  प्रधान मंत्री को ७२ घंटे बाद भी  यह नहीं मालूम था कि  "हमारे देश पर दुश्मन ने हमला कर दिया  है "! वास्तव में यह महज आतंकी हमला नहीं है ,बल्कि भारत को बर्बाद करने की शत्रु पक्ष की सनातन बदनीयत का एक  जीवंत और परोक्ष प्रमाण है। उचित होता कि  मोदी जी फ़्रांस के राष्ट्रपति  फ्रांक्वा ओलांद से या रुसी राष्ट्रपति पुतिन से ही कुछ सीखते !
 
   श्रीराम तिवारी 
                   

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