दादरी [यूपी] के अख्लाख़ को जब भीड़ ने मार दिया तो मुझे बहुत गुस्सा आया। तब देश और दुनिया के सारे प्रगतिशील एवं धर्मनिरपेक्ष जगत को भी बहुत गुस्सा आया ? लेकिन बहुत बाद में स्पष्ट हुआ कि शुरुआत अख्लाख़ ने ही की थी। उसने मंदिर के पुजारी को चेलेंज किया कि ' मैं तो बीफ अवश्य खाऊँगा। तुमसे जो बने सो कर लेना।'' वह कहीं से किसी अन्य जानवर का माँस ले भी आया और पुजारी परिवार को दिखाते हुए कहा कि देखो ये 'बीफ' है ! और हम इसे पकाकर सपरिवार आज शाम खाने वाले हैं। अख्लाख़ ने डींग हाँकी और उन्मादी भीड़ ने उसे मार दिया। इस घटना में हत्यारे तो कसूरवार हैं ही किन्तु मरने वाला भी दोषी हैं !
अख्लाख़ की तरह ही अफवाहों के आधार पर कल देवास [मध्यप्रदेश] में एक साम्प्रदायिक उपद्रवी भीड़ ने एक निर्दोष युवक नरेंद्र राजोरिया को मार डाला। बागली -अर्जुन नगर का रहने वाला गऱीब युवक नरेंद्र राजोरिया इंदौर के आइआइपीएस कालेज में एमबीए की पढाई कर रहा था। अपनी पढाई का खर्च जुटाने के लिए वह पढाई के साथ-साथ किसी कम्पनी में डाटा इंट्री का भी काम करता था। चूँकि इन दिनों दो समुदाय विशेष के कटट्रपंथियों की खुरापात के कारण मध्यप्रदेश का मालवा और निमाड़ साम्प्रदायिकता की आग में धधक रहा है। अफवाहों के दौर में भी नरेंद्र अपने घर से काम के लिए आफिस निकला था ,किन्तु समुदाय विशेष के दंगाईयों ने उसे अकेला देखकर मार डाला। उसके माता-पिता का रोते -रोते बुरा हाल है। वे बार-बार पूंछ रहे हैं कि "मेरे बेटे का कसूर क्या है "? इस घटना में एक निर्दोष की जा गयी इसका जिम्मेदार कौन है ?
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