मंगलवार, 12 जनवरी 2016


वह सिद्धांत और दर्शन ,जो मनुष्यमात्र को -

जीवन जीना सिखाता हो , उसे  सत धर्म  कहते हैं।

वह संगीत-कला -साहित्य ,गीत  सम्पूर्ण जगत का  ,

करता हो संचार सरस रस , जीवन का  मर्म कहते हैं। 

 आये काम सताने के , निर्बल को जो काली ताकत

  उसी  बला को वसुंधरा पर ,मानवता की  शर्म कहते हैं।

  कार्य  विशेष को करने से ,या जिसेके  न करने से ,

  हो विश्व  का कल्याण  ,उसे सतकर्म कहते हैं। श्रीराम तिवारी
    

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