शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

दक्षिणपंथी विचार धारा के लोगों के अभी अच्छे दिन चल रहे हैं।



 आज बापू निर्वाण दिवस है ! आज ही के दिन महात्मा गाँधी की नृशंस हत्या की गयी थी ! चूँकि  कोई भी सच्चा वतनपरस्त बापू के अवदान को कभी भूल ही नहीं सकता ,इसलिए वह गांधी जी को साल में एक दिन विशेष रूप से याद करने की  औपचारिक तामझाम का तलबगार  भी नहीं होता। वैसे भी शहादत कोई वैयक्तिक पूँजी नहीं  अथवा इतिहास  की इकलौती चीज नहीं हुआ करती। कौम के लिए ,देश के लिए अथवा सम्पूर्ण मानवता के लिए आत्म बलिदान  कोई ऐंसी शै नहीं कि इतिहास की धरोहर होकर रह  गयी.कि फिर दुबारा कभी न हुयी न होगी ।   महात्मा गाँधी जैसे ही अन्य हजारों बलिदानी लोग  स्वाधीनता संग्राम के हवन कुण्ड में स्वाहा हो गए। गांधी जी से पहले भी होते रहे हैं ,और अभी भी हो रहे हैं। लाला लाजपत राय ,उधमसिंग ,भगतसिंह और आजाद  जैसे तो देवतुल्य हैं ही किन्तु  आजादी के बाद भी सफदर हाशमी ,डाभोलकर ,पानसरे ,कलीबुरगी  का अवदान गांधी जी या  अन्य शहीदों से कुछ  कमतर नहीं आंका जा सकता। गांधी जी की शहादत इसलिए महिमामंडित है कि   उनके परमशिष्य पँ  नेहरू देश के प्रधान मंत्री थे। कांग्रेस सत्ता में थी। उस के नेताओं ने अपने आपको सत्ता में निरंतर बनाये रखने के लिए गांधी जी को कुछ ज्यादा ही इस्तेमाल किया। पँ नेहरू ,सरदार पटेल ,लाला बहादुर शाश्त्री और इंदिराजी ने महात्मा  गांधी से आगे किसी के भी बलिदान को ज्यादा महत्व नहीं दिया । स्वामी श्रद्धानन्द  ,लाला लाजपत राय ,शहीद भगतसिंह ,गणेश शंकर विद्यार्थी , चंद्रशेखर आजाद  से लेकर सफ़दर हांशमी ,दाभोलकर ,गोविन्द पानसरे ,प्रोफेसर कलीबुरगी  जैसे लोगों की  शहादत को गांधी जी की शहादत से कमतर क्यों आंका जाना चाहिए ?

 अधिकांस शहीदों की हत्या किसी  खास  व्यक्ति  के हाथों नहीं हुई। बल्कि दुनिया की सबसे खतरनाक विचारधाराओं में एक खास  फासिस्ट और असहिष्णु विचारधारा  ही इसके लिए दोषी है। यह विचारधारा इन दिनों दुनिया के हर देश में बहुत फलफूल रही है। उसके आक्रामक प्रहार से अनेक साहसी ईमानदार और मानव-तावादी  शहीद हो रहे हैं। जरूरत इस बात की है कि शहादत का पेटेंट किसी एक के नाम नहीं मान  लिया जाये। जिन उन्मादी कट्टरवादी विचारों  ने  नाथूराम गोडसे के हाथों में पिस्तौल थमाई ,उस दक्षिणपंथी विचार धारा के लोगों के  भारत में अभी अच्छे दिन चल रहे हैं।  उसी  सोच के लोग इराक,सीरिया और आंधी एशिया में आग मूत रहे हैं। आशा की जानी चाहिए कि  कमसेकम भारत की गंगा जमुनी तहजीव और मानवतावादी चेतना  इन  तमाम स्वार्थपरस्त  विचारधाराओं  को इतिहास के कूड़ेदाबन में फेंक देगी । इसके साथ ही तमाम दमन  शोषण भृष्टाचार,लूट ,आतंकवाद ,नक्सलवाद और जातीय-धर्म के राजनैतिक पाखंडवाद  को ध्वस्त कर देश में शहीदों के सपनों का भारत आगे बढ़ेगा ,,,,,,,!  महात्मा गांधी अमर रहें !,,बापू हम शर्मिदा हैं ,,,तेरे कातिल ज़िंदा हैं ,,,,!
  श्रीराम तिवारी 

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