राजस्थान के एक 'बिगड़ैल' आईएएस हैं उमरावमल ,उन्हें आउट ऑफ़ टर्न 'चीफ सेक्रेटरी ऑफ़ राजस्थान' नहीं बनाया गया ,तो वे कुपित होकर 'मुसलमान' हो गए। इस अधिकारी के ऊपर कई करोड़ की जमीन घोटाले समेत और भी कई गंभीर आरोप हैं। चूँकि यह अधिकारी आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस बना है ,तो अब सवाल उठता है कि धर्म परिवर्तन की दशा में उसे आरक्षण के तहत प्राप्त इस पद पर बने रहने का अधिकार है या नहीं ? भारतीय संविधान की अवधारणा के अनुसार आरक्षण का लाभ तो हिन्दू समाज के तथाकथित दलित , वंचित आदिवासी और पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को ही मिलना चाहिये। वैसे भी जब वह अधिकारी धर्मान्तरित होकर मुसलमान हो गया है तो उसको आइन्दा मुस्लिम पर्सनल लॉ एक्ट के अनुसार हज सब्सिडी मिलेगी। ,चार-चार शादियां का अधिकार मिल गया। ,सिर्फ जुबान से तीन बार -तलाक-तलाक - तलाक बोलने पर अपनी वर्तमान बीबी से तलाक का अधिकार भी मिल गया है। इसके अलावा उसे वे तमाम सुविधाएँ स्वतः ही प्राप्त हो जाती हैं जो शरीयत के अनुसार और इस्लामी क़ानून के दायरे में आते हैं। इतने साल से भृष्टाचार करते हुए जो कमाया है वो भी कम नहीं है। इस व्यक्ति ने धर्म परिवर्तन किया यह तो कोई अनहोनी या अपराध नहीं है। किन्तु बहुत बड़ी बिडंबना है कि उसने अपने निजी स्वार्थ को राष्ट्र हित से ऊपर रखा और यह बता दिया कि वर्तमान दौर के भृष्ट ब्यूरोक्रेट्स में कितनी राष्ट्र चेतना है ? श्रीराम तिवारी
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