गुरुवार, 14 अगस्त 2014

स्वाधीनता संग्राम के शहीदों को नमन !शब्दांजलि !


 
    शहीदों के सपनों का ,इस मुल्क से  मिलन  हो गया।

    ऊषा की  लालिमा लिए , प्रभात का नमन हो गया।।

    क्षण - क्षण  गौरव  के   ,दिव्यता  से  हम  को मिले  ।

    हरी-भरी  हो गई  धरा,  राष्ट्र सारा मगन हो गया।।

    मुक्ति संग्राम   का लहू  ,आज फिरसे  जवां  हो गया।

   शहीदों के सपनों  का ,इस मुल्क से  मिलन  हो गया।


     संघर्ष  द्वन्द ग्रन्थ के सभी  ,सर्ग इस  देश ने पढ़े।

      देश का विधान बन गया  ,  लोकतंत्र बन  गया।।

     पड़ोस की  कुचालों से ,घायल  भी कम न हुआ  ।

     आतंकी फितरत  का , मर्ज वेशरम  हो गया।।

  शहीदों के सपनों  का ,इस मुल्क से  मिलन  हो गया।

    

      धांधली- चुनावों की , अब अभिशाप हो गई ।

      जाति -पाँति -मजहब का ,चलन  आम हो गया।

       खम्बे  लोकतंत्र के  ,चारों  ही रुग्ण  हो चुके  ,

        वित्तीय  गुलामी से  , राष्ट्र नीलाम हो गया।।

   शहीदों के सपनों  का ,इस मुल्क से  मिलन  हो गया।



        शोषण के व्योम में हम  ,प्रश्न बनके घूमने लगे  ,

        क्रान्ति  अधूरी रही, संघर्ष  कुछ मंद   हो  गया।।

       मँहगाई  की सुरसा  से  मुल्क परेशान  हो  रहा ।

       भृष्टाचार -रिश्वत का ,व्यभिचार आम हो गया।।

   शहीदों के सपनों  का ,इस मुल्क से  मिलन  हो गया।

                                                       ;-श्रीराम तिवारी-:
  

  




   


  

  

 

   


  


   

  

  

   

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