बुधवार, 5 मार्च 2014

केंद्र के खिलाफ तांडव नृत्य में लीन हैं शिवराज !




                            वैसे तो 'संघ' परिवार' के तमाम समर्थक, प्रचारक,अनुयाई और नेता  एक जैसे   ढपोरशंखी  ,गप्पवाज  तथा  मिथ्यावादी  हैं।  किन्तु संघ ने  मोदी को जो अपना  अल्पकालिक 'राजनैतिक कमांडर इन -चीफ' बनाया है वो लगता है कि  उनके वैचारिक चिंतन की कसौटी पर खरा उतने वाला  नहीं है। संघ ने अपने सुनिश्चित मापदंड और तयशुदा सिद्धांत के तहत ही  यह  निर्णय लिया  होगा  कि  गोयबल्स सिद्धांत "एक झूंठ सौ बार बोलो तो  कुछ मूर्ख लोग उसे सच ही मानने लगेंगे " ' के अनुपालन  में  सर्वश्रेष्ठ निष्णांत  'नमो'  को ही अपना राजनैतिक उत्तराधिकारी घोषित किया है।  लेकिन यदि 'संघ ' की नजर शिवराज पर नहीं पडी तो यह शिवराज का दुर्भाग्य और मोदी का सौभाग्य है।  वास्तव में शिवराज ही हैं जो मोदी से कुछ  ज्यादा  ही उस सिद्धांत  में सिद्धहस्त हैं कि "झूंठ बोलो -जोर से बोलो -बार बार बोलो".  जिस तरह मोदी  अपने प्रदेश [गुजरात] को प्रोपेगंडा के मार्फ़त  लगातार  सिंगापूर जैसा सर्वोन्नत और 'महान' बताते हुए नहीं थकते।  ठीक उसी तरह शिवराज  इन्ह चौहान भी मध्यप्रदेश् को  नार्वे  या   स्विट्जरलेंड  जैसा समृद्ध बताने में रंच मात्र  नहीं शरमाते।
                    मध्यप्रदेश में इस साल  हायर सेकेंडरी और हाई स्कूल के सैकड़ों छात्रों को एन परीक्षा के  एक घंटे पहले  ही  बताया जा रहा है कि चूँकि  आपके  स्कुल ने आपका रेकार्ड नहीं भेजा इसलिए  बोर्ड द्वारा आपको रोल नंबर  नहीं दिया जा सकता। यह  सर्विदित  है कि  मध्यप्रदेश सरकार का केवल माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता  महाविद्द्यालय  ही नहीं बल्कि समूचा  शिक्षा विभाग  ही  सीधे -सीधे 'आरएस एस के हाथों में कसमसा रहा है  . संघ संचालित शिवराज सरकार का कहना है कि  छात्र  परीक्षा  में नहीं बैठ सकते। सवाल  है कि  क्यों ? इसमें  छात्रों की  गलती क्या  है ? यदि शासन की या सरकार की गलती से सैकड़ों बेगुनाह छात्र  परीक्षा  से वंचित हो रहे हैं तो सरकार का उत्तरदायित्तव क्या है ?उधर व्यावसायिक परिक्षा मंडल में हुए  भयानक भ्रस्टाचार की  कालिमा से शिवराज का चेहरा बदरंग हो रहा है।  शिवराज के कार्यकाल में ही  रिश्वतखोरी  से की गईं भर्तियों से, योग्यता  की उपेक्षा से जहां   हजारों मुन्ना भाई इनके कार्यकाल में  डॉ बन चुके हैं वहीँ दूसरी ओर  सभी सरकारी महकमों में केवल या तो संघनिष्ठ भ्रष्टाचारी  घुसे हैं या  व्यापम जैसे घोटालों से उत्पन्न  अयोग्य  अक्षम और मक्कारों की फौज प्रदेश का सर्वस्व लूटने में  जुटी है।  शिवराज ने अपने कार्यकाल में ऐंसे  डाक्टर  तैयार किये  है  जिनका उस्तरा मरीज के आपरेशन में नहीं उसकी जान लेने के काम आयेगा। शिवराज सरकार ने ऐंसे इंजीनियर और ठेकेदार  तैयार किये हैं कि उनके बनाये पुल  एक महीने में ही धराशाही हो रहे हैं। किसी को विश्वाश न हो तो  सूचना के अधिकार के तहत जानकरी ले सकता है कि नए पुल ही क्यों धर्षायी हो रहे हैं जबकि  अंग्रेजों के जामने के १००-१५० साल पुराने पुल आज भी पुख्ता हैं।
                  मध्यप्रदेश में मावठे की  तूफानी बारिस और ओलों से   गेंहूं -चना -मसूर तथा रवी की अधिकांस  फसल  चोपट हो चुकी है ,शिवराज  चौहान तो  खेतों में फोटो  खिचा  रहे हैं। उनके सहयोगी मगरमच्छ  के आंसू बहा रहे हैं। करोड़ों रूपये उनकेउज्जैनी  मंत्रीमंडल बैठकों पर  तथा करोड़ों  उनके हेलीकाप्टर पर  फूँके जा रहे हैं. शिवराज के साथ सैकड़ों कारों  का  कारवाँ धुल उड़ाकर मध्यप्रदेश  के सूखा पीड़ित किसानों को आत्महत्या पर मजबूर कर  रहा है .शिवराज सिंह मीडिया को मेनेज कर ,अखवारों को विज्ञापन देकर सत्ता की राजनैतिक   नौटंकी कर रहे हैं। केंद्र सरकार के खिलाफ धरना ,प्रदर्शन और उपवास  का नाटक कर रहे हैं। उनके संगी साथी सभी  इस समय फीलगुड में हैं। अफसर भ्रस्टाचार में सराबोर हैं। मध्यप्रदेश से  आगामी लोक सभा चुनाव में  में "२९ में से २९'  सांसद जिताने  का मकसद है शिवराज का। ताकि चुनाव बाद वे  मजबूती से मोदी के अगेंस्ट   एनडीए के वैकल्पिक पी एम् प्रत्याशी बन सकें। इसीलिये वे भी मोदी की ही तरह कांग्रेस मुक्त मध्यप्रदेश का    नारा लगा रहे हैं।  हकीकत यह है कि मध्यप्रदेश में  विपक्षी कांग्रेस और अन्य दल   अभी  जनता से कोसों दूर है।
                        रोम जलने पर  नीरो ने बांसुरी बजाई  थी ये तो पक्का पता नहीं किन्तु शिवराज सरकार और  संघ परिवार  सभी मिलकर इस असंकट की घड़ी में केवल सत्ता की  राजनीति कर रहे हैं। जिस तरह नमो  ने  गुजरात बाइब्रेंट ,नर्मदा साबरमती को जोड़ने जैसे  मुद्दों के बहाने गुजरात और देश में पकड़ बनाई उसी के  बरक्स  शिवराज ने भी  मध्यप्रदेश विकाश   के लिए पूँजी निवेश के लिए पूँजीपतियों  को लुभाया , नर्मदा -शिप्रा को जोड़ने का मुद्दा उछाला ,केंद्र के तथाकथित सौतेले व्यवहार के तराने गाये और  अखवारों में विकाश के   शगूफे बड़ी चतुराई से आसमान में   उछाले  हैं। उन्होंने  मध्यप्रदेश  को 'मददयप्रदेश ' बना डाला है। हर गाँव  हर गली में शराब की दूकान खोलने में शिवराज शायद देश में सबसे  आगे हैं।  मध्यप्रदेश की अस्मिता और जनता का  सब कुछ चुनाव की बाली बेदी पर  चढ़ाकर शिवराज कन्द्र के खिलाफ 'आंदोलन' के  'तांडव' नृत्य में लीन   हैं
                                       जिस तरह  केदारनाथ त्रासदी के समय जबकि  सारा देश हिल चूका था तब 'नमो' उस पर भी राजनीती कर रहे थे। गप्प मार रहे थे कि मेने १५००० लोगों को बचाया। चाहे गोधरा कांड हो ,चाहे मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक उन्माद हो ,  चाहे मेरठ साम्प्रदायिक  दंगा हो,चाहे सीमाओं पर पाक आतंकवादियों के हमले हों हर राष्ट्रीय आपदा के समय 'नमो' ने केवल राजनीति  ही की है। हर संदर्भ में देश  और दुनिया  के सामने   मोदी ने लफाजी और  झूंठ  के परनाले  बहाये  है. गुजरात की अधिकांस जनता दुखी और ट्रस्ट है किन्तु दम्भ पाखंड के तुमुलनाद में जनता की आवाज को निरतर दवाया जा रहा है।  इसी तरह शिवराज  भी एक तरफ तो  नर्मदा का चुल्लू भर  पानी शिप्रा में डालकर मालवा को गुजरात से बेहतर  बंनाने  का सपना दिखा रहे हैं  दूसरी ओर  भुखमरी के शिकार मध्यप्रदेश को बचाने  के लिए  केंद्र से हजारों  करोड़ों की भीख मांग रहे हैं।  चूँकि आचार संहिता लग चुकी है और केद्र सरकार भी बिना छानबीन के ,बिना चुनाव आयोग की अनुमति के कुछ नहीं कर सकती।  फिर भी शिवराज  ने भी  मोदी की तर्ज पर अपनी सभी  नाकामियों को केंद्र पर ढोलते रहने का ढपोरशंख बजाना जारी  रखा है. मध्यप्रदेश में कांग्रेस सन्निपात की अवस्था में ,तीसरा मोर्चा बिखरा हुआ है  और 'आप' का आता-पता नहीं है इसलिए संघ परिवार के लिए यदि मोदी शुम्भ हैं तो शिवराज निशुम्भ साबित होने जा रहे हैं।
                   यदि आप से कोई सवाल करे कि  गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा के वर्तमान 'पी एम् इन वेटिंग' श्री नरेंद्र भाई मोदी   की तरह 'गोयबल्स' के  पदचिन्हों पर शतप्रतिशत  चलने वाला नेता भारत में दूसरा  कौन है? याने  केवल  अपनी वाग्मिता  से  जनता को मूर्ख बंनाने बाला फासिस्टों की  बेहतरीन  नक़ल करने वाला शख्स  भाजपा  में कौन है ?तो आप बेहिचक कह सकते हैं -सिर्फ और सिर्फ शिवराजसिंह चौहान -वर्तमान   मुख्यमंत्री [म.पृ ] . इन दिनों शिवराज न केवल  सिर्फ 'नमो' की नक़ल में जुटे  हैं। वे   'नमो' को छोड़कर शेष सम्पूर्ण संघ परिवार को ,मोहन भागवत को ,  राजनाथ  सिंह को  ,आडवाणी जी  को ,मुरली मनोहर जी  को  यहां  तक की  सुषमाजी को भी  मध्यप्रदेश में महिमा मंडित कर  अपना  पुरषार्थ दिखाने में मशगूल हैं. एतद  द्वारा लिख दिया  जो सनद रहे वक्त पर काम आवे कि चुनाव  वाद भाजपा संसदीय बोर्ड की पहली  मीटिंग में शिवराज भी  मोदी के सामने  खड़े हो सकते है  शिवराज मोदी को तगड़ा  झटका दे सकते हैं ! तब नमो  नाम केवलम का क्या होगा ?

                                   श्रीराम तिवारी 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें