सोमवार, 24 मार्च 2014

पूँजीवादी दलों का सारा कूड़ा करकट दल-बदल के मार्फ़त- भाजपा ने अपने 'आंचल' में समेट लिया है।

   

   ऐंसा लगता है कि १६ वीं संसद के आसन्न चुनाव -प्रचार के दरम्यान 'संघ परिवार' पुनः फील गुड में आ  चुका  है.भाजपा ही नहीं बल्कि जनसंघ के संस्थापकों को भी लतियाया जा रहा है। मोदी और राजनाथ को  बिहार  में काला चोर चलेगा किन्तु  लालमुनि चौबे नहीं चाहिए।भोपाल से ऐरा-गेरा नत्थूखेरा  चलेगा किन्तु आलोक शर्मा नहीं चाहिए। कर्नाटक में  प्रमोद मुतालिक चलेगा किन्तु राजस्थान में वसुंधरा को  जशवंतसिंघ नहीं चाहिए । लखनऊ से लाल जी टंडन ,वनारस से मुरली मनोहर जोशी नहीं होना मांगता !  गुजरात में मोदी को संजय जोशी , हरिन  पाठक  ,अशोक मेहता ,पंड्या , केशु भाई पटेल ,अशोक दवे  या अमुक-ढीमुख नहीं चाहिए। उनका वश  चले तो उन्हें तो आडवाणी ,सुषमा,शिवराज,विजय गोयल ,सुधींद्र कुलकर्णी ,राजनाथसिंह  और मोहन भागवत  भी नहीं चाहिए।  कहा जा रहा है कि "मोदी लहर ' है,  आंधी है।   यह आंधी मोदी को पी एम् बना पायेगी ये तो पक्का नहीं है. किन्तु  ये पक्का है कि  इस राजनैतिक अंधेरगर्दी की आंधी ने कांग्रेस का,यूपीए का और देश के अन्य दक्षिणपंथी पूँजीवादी  दलों का सारा कूड़ा करकट  दल-बदल के मार्फ़त- भाजपा ने अपने  'आंचल' में समेट  लिया है।  इन महाभृष्ट दलबदलुओं -सत्ता पिपासुओं और मौकापरस्तों के गंदे पोखर  में  सत्ता का  'कमल '   भले ही खिल भी जाए  किन्तु  देश की जनता  को -गरीबी ,भ्रष्टाचार ,मंहगाई और अराजकता से मुक्ति  मिल पाना सम्भव नहीं !
                                                                              श्रीराम तिवारी 

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