देश में ,दुनिया में ,भाजपा के अंदर ,भाजपा के बाहर और राजनैतिक विमर्श के सम्पूर्ण परिवेश में - जो लोग नरेंद्र मोदी के नेत्तव का विरोध कर रहे हैं वे वेशक धन्यवाद के पात्र हैं। किन्तु जो लोग 'संघ परिवार' और उसके अनुषंगी राजनैतिक संघठन भाजपा की 'दूषित' विचारधारा का विरोध करते हैं वे उनसे भी महान हैं। लेकिन जो लोग वंशवाद , अलगाववाद ,क्षेत्रीयतावाद ,व्यक्तिवाद ,जातिवाद,उग्र वाद तथा हर किस्म की लूट और शोषण-अन्याय का विरोध करते हैं ,उसके खिलाफ संघर्ष करते हैं - वे ही असली देश भक्त हैं। इन सबसे महान और देशभक्त वो हैं जो दल-बदलुओं को कभी माफ़ नहीं करते हैं। नरेंद्र मोदी उतने खतरनाक नहीं जितना की उन्हें बताया जा रहा है। नरेद्र मोदी से कई गुना खतरनाक ,जहरीले और सत्ता लोलुप और राष्ट्र विरोधी लोग न केवल 'संघ परिवार' में बल्कि अन्य पूंजीवादी -क्षेत्रीय -व्यक्तिवादी- गैर भाजपाई दलों में भी भरे पड़े हैं। मुलायमसिंह ,मायावती ,जयललिता ,करूणानिधि या नवीन पटनायक ही नहीं बल्कि शिवसेना ,मनसे,अकाली ,हजपा या झारखंड मुक्ति मोर्चे में से ऐंसा कौन सा दल या नेता है जो दूध का धुला है या जो भाजपा या मोदी से किसी भी आपत्तिजनक मामले में उन्नीस है ? झारखंड की जनता ने एक बार 'एक आम आदमी'[मधु कोड़ा। को मौका दियाथा उसने क्या गुल खिलाया? यह सर्वविदित है कि उस वंदे ने २ साल में ही ५ हजार करोड़ की सम्पदा लूटकर स्विस बेंक में जमा कर डाली। हमारे आधार प्रणेता नंदन नीलकेणी जी ने विगत कुछ ही सालों में ७७५०० करोड़ कमाए ,कहाँ से आये ? मोदी के ऊपर तो सभी हमलावर हैं ,होना भी चाहिए क्योंकि वे कहीं न कहीं दोषी है किन्तु मोदी के बहाने देश में मोदी से ज्यादा खतरनाक और लुटेरे छुट्टा क्यों घूम रहे हैं ? क्या वे सिर्फ इसलिए सदाशयता के पात्र हैं कि वे 'पी एम् इन वैटिंग ' नहीं हैं ?
संघ परिवार ने जानबूझकर ये इंतजाम किया कि मोदी पर निरंतर कटटर हिंदुत्वादी होने का शोर मचाया, ताकि बहुसंख्यक हिन्द समाज का ध्रुवीकरण 'संघ' निर्देशित भाजपा के पक्ष में किया जा सके। अब जबकि उन्हें लगने लगा कि इतनी मेहनत -मशक्कत के वावजूद ,गुजरात विकाश के झूंठ परोसने के वावजूद ,पूँजीपतियों को देश की सम्पदा लूटने की खुली छूट देने के वावजूद - अकेले हिंदुत्व् या 'नमो नाम केवलम 'से आगामी लोक सभा चुनावों में एनडीए का कुनवा २७२ तक नहीं पहुँचने वाला है तो वे अब आनन् -फानन राष्ट्रव्यापी दल-बदल अभियान में जी जान से जुट गए हैं. कर्नाकट के महाभृष्ट श्रीरामलु , येद्दुरप्पा से लेकर उत्तराखंड के सतपाल महारज तक और मुंबई के नचैये -गवैयों से लेकर यूपी के जगदम्बिका पाल तक जो कल तक पानी पी -पी कर भाजपा और मोदी को कोसते रहते थे वे सभी अब उसी सड़ांध भरी नांद में मुँह मारने को उतावले हो रहे हैं। यह स्प्ष्ट है कि भाजपा और संघ परिवार कोई पवित्र गंगा सागर नहीं है कि कोई भी गटर या नाला उसमें आकर मिल जाए और पवित्र हो जाए ! किसी ने क्या खूब कहा है कि जब नाव डूबने को होती है तो चूहे सबसे पहले भागते हैं ! कांग्रेस की डूबती नाव से उछलकर भाजपा की साम्प्रदायिक एवं पूँजीवादी नांद में गोते लगाने को आतुर दल बदलुओं को पुण्यात्मा मानकर लोग यदि फिर से चुनते हैं और एनडीए के इस तरह के २७२ संसद चुनाव जीत जायेंगे तो 'मोदी विरोध ' का क्या औचित्य रह जाएगा ?
श्रीराम तिवारी -[www.janwadi.blogspot.com]
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