आठ दिसंबर को आये मध्यप्रदेश विधान सभा -चुनाव परिणाम इतने अप्रत्याशित थे कि स्वयं भाजपा और शिवराजसिंह चौहान भी दंग रह गए होंगे ! संघ परिवार और भाजपा को इतनी उम्मीद नहीं थी कि उन्हें १६३ सीटों पर विजय मिलेंगी ! अपनी असफलताओं के कारण ही उभरते एंटी इन्कम्बेंसी फेक्टर और कांग्रेस की वापिसी की सम्भावना को चुनौती मानकर शिवराज सिंह चौहान लगभग एक साल पहले ही 'जन-आशीर्वाद यात्रा पर निकल पड़े थे। शिवराज की जीत से 'नमो' को कोई खास खुशी नहीं हुई !यह सर्व विदित है कि मध्यप्रदेश के अधिकांस मंत्री,अफसर ,बाबू और स्टेक होल्डर्स - गले-गले तक भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. किन्तु कांग्रेस की आपसी फूट और केंद्र में यूपीए -२ का निराशाजनक प्रदर्शन शिवराज के लिए विजय का वरदान सावित हुआ है । वे बम्फर मेजारिटी से हैट्रिक बना कर मध्यप्रदेश की सत्ता में वापिस स्थापित हो चुके हैं। न केवल मध्यप्रदेश की राजनीति में बल्कि दिल्ली की राजनीती में भी शिवराज अब नरेंद्र मोदी के विकल्प के रूप में सप्रयास उभर रहे हैं। उनकी इस तरह अप्रत्याशित बढ़त को पलीता लगाने के लिए ही भाजपा का मोदी धड़ा भी तेजी से काम पर लग चुका है।
विगत सप्ताह शिवराज की ताजपोशी के समय भोपाल में नमो और उमा की जो 'गुप्त मत्रणा 'हुई उसके बाद से शिवराज को घेरने के प्रयास तेज हो गए हैं। भले ही मध्यप्रदेश के अधिकांस वोटर 'मामा' शिवराज पर मेहरवान हुए हैं ,भले ही आडवाणी ,शुषमा स्वराज और मोहन राव भागवत उनकी वनावटी विनम्रता के कायल हैं ,भले ही शिवराज को भाजपा में अटल बिहारी बाजपेई की तरह 'धर्मनिरपेक्ष ' चेहरा बताया जा रहा हो ,किन्तु वास्तव में तो शिवराज के 'राज' में मध्यप्रदेश बुरी तरह घायल ही हुआ है। विगत ८सालों में मध्यप्रदेश में जितनी लूट हुई है ,जितने मर्डर और रेप हुए हैं ,जितने रिश्वतकांड हुए हैं, उतने अतीत में कांग्रेस के ५० साल के कार्यकाल में भी नहीं हुए हैं। वेशक कांग्रेस यदि चोर सावित हुई है तो ये सीधे -सादे दिखने वाले तथाकथित राष्ट्रवादी देशभक्त 'डांकू ' सावित हो रहे हैं !
मध्यप्रदेश में अब कोई भी काम बिना रिश्वत दिए करा पाना टेडी खीर है। हर कदम पर कमीशन का % बंधा हुआ है। सत्ताधारी पार्टी ने पुलिस और क़ानून को भी लगभग बंधक बना डाला है। थाने बिक रहे हैं। नाके बिक रहे हैं। सरकारी जमीन और नदियां बिक रहीं हैं। भू माफिया ,रियल स्टेट माफिया ,दारु माफिया ,ड्रग ट्रायल माफिया ,पीएससी माफिया,व्यायवसायिक परीक्षा मंडल माफिया ,नकली डाक्टर -मुन्ना भाई माफिया ,खनन माफिया , प्रदेश की सम्पदा को राजनीति के मार्फ़त लूटने वाल माफिया ,आसाराम एंड सन्स के गुनाहों का गवाह माफिया, हवाला माफिया ,ड्रग माफिया ,मनरेगा का पैसा लूटने वाला माफिया ,जेएनएनयूआरएम का पैसा खाने वाल माफिया ,और पता नहीं कितने माफिया हैं जो मध्यप्रदेश को बर्बाद करने में जूट हुए हैं। चूँकि तथाकथित पार्टी विथ डिफ्रेन्स का महाभ्रष्ट चाल-चेहरा और चरित्र केवल कांग्रेस को ही नहीं दिखा और वो जनता के सामने भाजपा को नंगा करने में असमर्थ रही। इसलिए विगत वधान सभा चुनाव में कांग्रेस को वांछित सफलता नहीं मिली। कांग्रेस तो भाजपा को घेरने में भी नाकामयाब रही क्योंकि उसके नेता तो एक दूसरे की कब्र खोदने में ही लगे थे। यही कारण है कि चोर भले ही हार गए हों किन्तु डाकू तो भारी बहुमत से जीत गए। अब तो मध्यप्रदेश 'मरू प्रदेश ' की और अग्र्सर हो रहा है।
मध्यप्रदेश के भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने में स्थानीय कांग्रेस - जनों का भी स्वार्थ है क़्योकि जिस किसी भी आपराधिक माफिया की खोज बीन की जाती है उसमें भाजपा वाले यदि ७०% खाने के लिए कुख्यात हैं तो ३० % पहले ही खा चुके कांग्रेसियों के नाम भी बाजार में प्रसिद्ध होने लगते हैं। इसीलिये मोदी जी की प्रेरणा से सुश्री उमा भारती को ही यह पुनीत कार्य करना पड़ रहा है। उन्हें मध्यप्रदेश सरकार की ईमानदारी पर संदेह है इसलिए उन्होंने व्यापम और अन्य घोटालों के लिए सीबी आई जांच की मांग की है। यदि शिवराज निर्दोष हैं तो उन्हें फ़ौरन सीबी आई जांच की मांग स्वीकार करनी चाहिए। यदि वे ऐंसा नहीं करते तो 'संघ' को इस बारे में कठोर निर्णय लेना चाहिए और तथाकथित देशभक्ति पूर्ण फैसला लेकर मध्यप्रदेश के भ्रष्ट भाजपा नेताओं पर अंकुश लगाना चाहिए ! यदि भाजपा हाई कमान ,संघ परिवार ने उमा भारती के वयानों को केवल प्रेशर की राजनीति मानकर अवहेलना की तो मध्यप्रदेश की जनता को पुनः विचार करना चाहिए कि वो किन दम्भी और झूंठे नेताओं को 'राष्ट्रवादी 'मानकर अपना प्रदेश लुटावा रहे है ? आगामी लोक सभा चुनाव इसके लिए बेहतर अबसर है। केंद्र सरकार को भी शुश्री उमा भारती की अपील का संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश में हो रहे घोटालों की जाँच करनी चाहिए।
श्रीराम तिवारी
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