डूबे हैं आकंठ जो ,खुद ही भ्रष्टाचार।
लोकपाल के बन गए ,वे ही सृजनहार।।
जिनके कर-कमलों हुआ ,वतन का बंटाढ़ार।
लोकपाल की वे करें ,झूंठी जय-जय कार।।
राजनीति के घाट पर , मची दलों की भीर।
कांग्रेस और भाजपा , सब मिल पीवें नीर ।।
अन्ना ने अनशन किया ,लोकपाल के हेत।
रालेगण सिद्धि बना ,राजनीति का खेत। ।
भ्रष्टाचार का गम नहीं ,सत्ता की तकरार।
गठबंधन की हाँडियाँ ,चढ़ती बारम्बार।।
दिल्ली आम चुनाव में , भई भ्रष्टन की हार।
'आप' केजरीवाल अब , भये दिल्ली सरकार।।
बड़े दलों ने छोड़ दी ,सत्य न्याय की धार।
दिल्ली की तरुणाई का ,मिला 'आपको' प्यार ।।
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें