जो थे फटे दूध की मानिंद वे खीर हो गए,
भ्रष्ट नेता अब लोकतंत्र की नजीर हो गए।
सरमायेदारों की जिन -जिन पर रही कृपादृष्टि ,
जीतकर चुनाव वे लुटेरे सब वजीर हो गए।
पूँजीवादी नीतियों का ही नतीजा है दोस्त ,
कि अमीर अब और ज्यादा अमीर हो गए।
शिक्षा -संचार क्रान्ति के मायने क्या जबकि ,
हम पहले से ज्यादा लकीर के फ़कीर हो गए।
अब तो देवता भी डरते होंगे इनसे शायद ,
धंधेबाज बलात्कारी जो धर्मवीर हो गए।
भगवान् भी हैंरान होगा कि क्यों मेरे वंदे,
आजकल अधिकांस दूध से पनीर हो गए।
सितमगरों के सामने झुकना मंजूर नहीं ,
इसलिए हम सच के बगलगीर हो गए ।
श्रीराम तिवारी
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