बरसों पहले एक फिल्म देखी थी -अर्ध सत्य . फिल्म में सदाशिव राव अमरापुरकर विलेन के रूप में पुलिस हिरासत से बचने के लिए अपने अड्डे पर किले बंदी करता है . उसे गिरफ्तार करने के लिए ओमपुरी जी इन्स्पेक्टर के रूप में काफी मशक्कत करते हैं किन्तु 'विलेन' कहता है [दारू के नशे में] "कल आना " . ओमपुरी को अंत में फिल्म की पटकथा के अनुसार विलेन की धुलाई करनी पड़ती है . इस समय रात के ११ बज चुके हैं , जोधपुर पुलिस ' दीन -हीन याचक की तरह, इंदौर के खंडवा रोड स्थित 'आसाराम - आश्रम' के बाहर रेप काण्ड के आरोपी और 'मोस्ट वांटेड ' अपराधी आसाराम की गिरफ्तारी के लिए जूझ रही है . आम जनता में चर्चा है कि आसाराम क़ानून और व्यवस्था खराब कर सकता है . गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने आसाराम को किसी भी तरह के प्रोटेक्सन देने पर इतराज जताया है . यह कदम नरेन्द्र मोदी को उनके आद्र्शोंमुखी व्यक्तित्व की छवि पेश कर रहा है . किन्तु मध्यप्रदेश में आसाराम को जो वेटेज मिल रहा है उससे जनता में शिवराज सरकार की किरकिरी हो रही है . गिरफ्तारी तो दूर उस कुख्यात -दुर्दांत 'महाभ्रष्ट' पतित पापी से बातचीत करने के लिए भी जोधपुर पुलिस को मध्यप्रदेश शासन और इंदौर पुलिस की ओर से कोई उचित सहयोग नहीं मिल रहा है . आश्रम में कीर्तन का ढोंग किया जा रहा है , कभी बीमारी का बहाना तो कभी -ध्यान समाधि और प्रवचन का बहाना बनाकर आसाराम गिरफ्तारी देने या जोधपुर पुलिस के समक्ष पेश होने से कतरा रहे हैं . गनीमत है कि कोई वास्तविक 'सिंहंम ' पैदा नहीं हुआ या फिल्म अर्धसत्य का इन्स्पेक्टर पैदा नहीं हुआ जो उसे घसीटकर न्यायालय के समक्ष पेश कर सके . कांग्रेस और भाजपा को तो वोटों की चिंता है भले ही ये एयास -ढोंगी बाबा देश की बहु बेटियों माता बहिनों के साथ दुष्कर्म करें या देश के क़ानून याने सम्विधान को ठेंगा दिखारहें .
श्रीराम तिवारी
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