भारत के जनतंत्र को , लगा भयानक रोग .
राजनीति में घुस गए , घटिया शातिर लोग . .
नई आर्थिक नीति अब , करती नए सवाल .
दुनिया के बाज़ार में , रुपया क्यों बदहाल . .
क्यों रूपये की हार है , क्यों डालर की जीत .
क्या अदभुत ये नीति है ,पूँजीवाद से प्रीत . .
आदमखोर पूँजी हुई , कपट कलेवर युक्त .
चोर-मुनाफा खोर हैं , इस युग में भयमुक्त . .
बढ़ते व्यय के बज़ट की ,अविचारित यह नीति .
ऋण पर ऋण लेते रहो, गाओ खुशी के गीत . .
कवन विकाश कारण किये , राष्ट्र रत्न नीलाम .
औने -पौने बिक गए , बीमा टेलीकाम . .
लोकतंत्र की पीठ पर , लदा माफिया राज .
ऊपर से नीचे तलक , हुआ 'कमीशन' काज . .
विश्व बैंक से कर रहे , मनमोहन अनुबंध .
नव- निवेशकों पर नहीं, कहीं कोई प्रतिबन्ध '. .
पूँजी मिले विदेश से , किसी तरह तत्काल .
मल्टीनेशनल को नहीं , रूचि यहाँ फिलहाल . .
कोटि जतन मिन्नत करी ,खूब नवाया भाल .
डालर लेकर आये ना , साहब गोरेलाल . .
डालर-डालर सब भजें , रुपया भजे न कोय .
मेहनत का रुपया भजो , तो जय-जय भारत होय . .
श्रीराम तिवारी
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