मंगलवार, 9 नवंबर 2010

कुछ खास रही यह दीपावली-- 5, 6 नवंबर 2010

  भारत में इस बार की दीपावली -५-६  -नवम्बर २०१० जरा ज्यादा ही धूम -धाम से मनाई गई .गाँव देहात की तो दीवाली अब बड़े किसानों तक ही सीमित रह गई है .खेतिहर मजदूर और सीमान्त किसान इस दौर में बेहद क्लांत है इस वर्ग के पास न तो  भर पेट भोजन और न ही शिक्षा और स्वास्थ की कोई व्यवस्था है उनको सभी दिन समान हैं  .शहरों में सर्वहारा वर्ग को छोड़ शेष सभी वर्गों ने -अफसर ,नेता .सरकारी कर्मचारी ,छोटा -बड़ा व्यापारी  और भृष्ट जगत सहित तमाम असमाजिक तत्वों की पौ बारह रही . बैंक डाकेतियों चेन स्नेचिं और चोरी चकारी का मामूली चोट्टे से लेकर वाया थाना होते हुए सराफा के व्यापार में अप्रत्यक्ष सयहोग भी अविस्मरनीय रहा .
           भारत का वर्तमान राजनेतिक ,आर्थिक और व्यवस्था सम्बन्धी परिदृश्य मीडिया ने इस तरह निरुपित किया है की  .केंद्र में यु पि ये सरकार का काम काज कोई क्रांतीकारी नहीं  तो  एकदम निराशा जनक भी नहीं दीखता .कभी- कभी लगता है की   भारत का मीडिया सत्ता में जो स्थापित हैं सिर्फ उन्ही के प्रति उत्तरदायी है .आम जन -सरोकारों को वह सब्जी में चटनी की तरह पेश करता है .किसान आत्महत्या ,गाँव -देहातों में स्वाश्थ शिक्षा की दुरवाश्था या शहरों में निजी क्षेत्र के शिक्षित -अशिक्षित कामगारों की  जवानी को -लीलता हुआ एक सर्वव्यापी अस्थिरता के भय का संचरण करता हुआ -उन्मुक्त बाजार का निर्माण कराने में सहभागी है .इस  दौरान भयादोहन के निमित्त अंतरराष्ट्रीय राजनीती के खिलाडी भी पीछे नहीं रहे -श्री बराक  हुसेन ओबामा की  भारत यात्रा के विमर्श में अनेक प्रकार की टीका टिप्पणी की गईं और आने वाले दिनों में की जाते रहेंगी .
           भारत -पाकिस्तान ,भारत -चीन और भारत -अमेरिका के अंतर्संबंधों की केमिस्ट्री में बराक ओबामा का भारत आना नितांत अर्थपूर्ण है .अमेरिका को अपने आर्थिक संकट से निजात पाने की छटपटाहट है ,पाकिस्तान को अमेरिका की छत्रछाया के छूटने का भय है .चीन को अपने चारों ओर पूंजीवादी राष्ट्रों की एकता से भय है ओर भारत को आतंकवाद तथा पाकिस्तान की कुटिल चालों का भय है .ओबामा के भारत में दीवाली मनाने .स्कूली छात्रों से मिलने ,संसद को सम्बोधित करने .धन्यवाद और जय -हिंद कहने के साथ -स्वामी विवेकानंद .महात्मा गाँधी .रवीन्द्रनाथ टेगोर और बाबा साहिब को स्मरण करने की भावौद्दीपक शैली  से अमेरिका के १३० पूंजीपतियों समेत भारत के पूंजीवादी खेमें की बाछें खिल गई हैं .कहाँ -कहाँ ,किस -किस व्यापार पर संधियाँ हुईं ये अभी खुलासा होना बाकि है ,किन्तु यह तय है की अमेरिकी राष्ट्रपति श्री बराक ओबामा एक अच्छे सेल्स मेन सावित हुए .अब यह देखना बाकि है की भारत के सत्ता पक्ष और विपक्ष ने देश के लिए क्या हासिल किया ?केवल यह की भारत ने शून्य की खोज की .भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है ,जय हिंद ..धन्यवाद ...गाँधी न होते तो मैं न होता -भारत के ३३ करोड़ नंगे -भून्खों क औदार भरण सम्भव नहीं ....भारतीय नेतृत्व को अभी और मशक्कत करने है .जन आंदोलनों की अनदेखी महेंगी पड़ेगी .

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