विगत २००७ के दरम्यान जब अमेरिकी पूँजी वादी साम्राज चरमराकर -भरभराकर ,भू लुंठित हो रहा था और एक के बाद एक कार्पोरेट कम्पनी -बैंक बीमा दिवालिया घोषित किये जा रहे थे ,तब लातीनी अमेरिका में समानांतर वित्तीय व्यवस्था के प्रयोजनार्थ न केवल प्रयाश तेज किये जा रहे थे बल्कि "बैंको देल -ओ -सूर "नामक विश्व स्तरीय बैंक कि स्थापना भी कि जा रही थी . विशेष तौर पर वेनेजुएला ,अलसल्वाडोर ,वोलिविया ,चिली तथा ब्राजील कि वाम -जनवादी -कतारों ने इसमें बेहतर योगदान दिया .विश्व राजनीती के विश्लेषक -वुद्धिजीवी ,एवं पूंजीवादी अर्थशाष्त्री ........
हैरान हैं कि सोवियत संघ में प्रतिक्रांति के वावजूद ,चीन में पूंजीवादी सुधारों के बरक्स्स दक्षिण अमेरिकी देशों में वामपंथ या साम्यवाद कि बयार क्यों बह रही है ? वेनेजुएला के राष्ट्रपति कॉम .ह्यूगो चवेज ,क्यूबा के महानायक कॉम .फिदेल कास्त्रो तो अमेरिका कि नाक में दाम कर ही रहे थे अब ब्राजील में भी एतिहासिक राजनेतिक परिवर्तन कि संभावनाएं तेज होती जा रहीं हैं .
ब्राजील में -एक पूर्व मार्क्सवादी गैरिल्ला एक्टिविस्ट सुश्री दीलिमा रूसेफ़ को वहां के राष्ट्रपति के चुनावों में भारी बहुमत से जीत हासिल हुयी है .वे ब्राजील कि पहली महिला राष्ट्रपति होंगीं .ब्राजील के सुप्रीम एल्क्ट्रोरल कोर्ट ने इस आशय कि अधिसूचना कल १ नवम्बर २०१० को जारी कर दी है . वे १ जनवरी से देश का शाशन संभालेंगी .सुश्री रुसेफ़ को ५७ %मत प्राप्त हुए हैं .
भारत और विश्व सर्वहारा के लिए यह एक आशाजनक स्फूर्तिदायक सन्देश होगा .जो क्रांती कि ताकतों को एकजुट संघर्ष के लिए प्रेनास्पद होगा ....साम्यवाद एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है जो न केवल महनत करने वालों का अपितु सारी मानवता का सर्वांग सार्वदेशिक हितेषी है ,जिसका अस्तित्व कभी ख़त्म नहीं होगा .इसका सूरज कभी नहीं डूबता ....श्रीराम तिवारी ....
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