दुनिया के तमाम मुस्लिम भाई बहिनों को ईद कि मुबारकवाद .में इस्लाम के बारे में बहुत कम जानता हूँ किन्तु अल्प्वुद्धि से यह यकीन के साथ कहता हूँ कि हर धर्म से बढ़कर इंसानियत है अतः किसी भी फिरके कि प्रतिबद्धता से परे सबसे मूल्यवान वस्तू के रूप में भाईचारे कि शिक्षा देने वाले ,त्याग कि महिमा बताने वाले मजहब -इस्लाम से मुझे उतना ही प्रेम है जितना कि अपने जन्मजात धर्म -सनातन धर्म या हिन्दू धर्म से है .
मुझे बताया गया है ईद - त्याग और बलिदान के आख्यान को चिर स्मरणीय बनाने के लिए -मनाई जाती है .खुदा -परवरदिगार ,अल्लाह ताला के आदेश से दीन-ओ -ईमान कि और इंसानियत कि हिफाजत के लिए हजरत इब्राहीम ने अपने बेटे इस्मायल कि बलि दी थी .बाद में मोहम्मद साहब और अन्य उत्तरवर्ती मुस्लिम खलीफाओं ने इसको बेहतर मानवीय रूप प्रदान किया किन्तु बकरे कि बलि बली बात नहीं जची .यह एक अलग विषद विमर्श का मज़हबी विषय है किन्तु बाकी शेष सभी सरोकारों में आपसी सौहाद्र और भाईचारे को ही तवज्जो दी गई है .
आज ही के दिन भारत में एक ऐसा त्यौहार मनाया जा रहा है जो कि सम्भवत सभी हिन्दुओं और भारतीय सनातन परम्परा कि अनुषंगी धाराओं कि एकता का औपम सूत्र है .आज देव उठनी एकादशी है ,लोक मान्यता है कि आज से सूर्य उत्तरायण हो चला है ...आज देव जाग चुके हैं .....आज से सभी मांगलिक कार्यों का श्री गणेश हो चुका है ..आज के दिन भगवान शंकर ने असुर राज दुष्टात्मा जलंधर को हराया था .उसे मारने के लिए उन्हें भगवान् विष्णु कि मदद लेनी पड़ी ...विष्णु ने छल से जलंधर कि पत्नी वृन्दा का सत्तीत्व भंग किया ताकि जलंधर का बध किया जा सके .जलंधर कि पत्नी वृंदा {तुलसी}चूँकि एक सती अर्थात पतिव्रता नारी थी औरहिन्दू धरम में ऐसी मान्यता है कि पतिवृता नारी को ईश्वर भी विधवा नहीं वना सकता ,भले ही उसका पति राक्षस ही क्यों न हो .ये सब बातें विष्णु पुराण तथा अन्य धर्म शास्त्रों में विस्तार से वर्णित हैं .में श्री हरी विष्णु को आराध्य मानते हुए भी उनके इस कुकृत्य कि {यदि उनने वास्तव में ऐसा किया है तो }निंदा करते हुए भी विष्णु के उस त्याग और बलिदान कि प्रशंशा करता हूँ कि लोक कल्याण के लिए उन्होंने अपयश को गले लगाया याने बहुत बड़ा त्याग किया इसका प्रमाण ये है कि श्री विष्णु अब सालिग्राम कि बटैया के रूप में तुलसी कि छाँव में सदा सदा के लिए श्रद्धा अवनत हैं ...
भारत में हर दिन कोई न कोई त्यौहार होता है .हर मजहब के अच्छे =अच्छे सिद्धांत और सूत्र विख्यात हैं .हर मज़हब में शांति और भाईचारे से मिल जुलकर रहने कि ललक है किन्तु शैतान भी हमेशा चौकन्ना है कि कहाँ धर्मान्धता का घाव है ,कहाँ घृणा कि विष बेल है ,कहाँ अहंकार और स्वार्थ है बस वहीं जाकर वो अपना रंग दिखने लगता है ..किन्तु जब जब गंगा जमुनी ,तहजीव और सौहाद्र कि एकता जागती हिया ये शैतान खामोश हो जाता है .मानवीय मूल्यों के संवर्धन और आत्म परिष्करण के लिए आज का दिन -ईद और एकादशी बहुत शुभ है ....सभी को बधाई .....हिदुओं को एकादशी कि शुभकामनायें ....मुस्लिम जमात को ईद -उल -जुहा कि मुबारकवाद .
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