येहिं आशा अटक रहो, अलि गुलाब के फूल!
फेरहिं बहुरि बसंत रितु ,इन डारनि वे फूल!!
::-बिहारी
नोट :- सीएम पीएम बनने से पूर्व मोदी जी ने ऐंसा कोई राष्ट्रवादी दरवाजा नही छोड़ा, जहां उन्होंने मत्था न टेका हो! वेशक उनका त्याग तपस्या बलिदान और विनम्रता ही है जो तेजी से भारत को विश्वशक्ति बनाने की ओर अग्रसर है!
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