गुरुवार, 3 नवंबर 2022

काहे की धर्मनिरपेक्षता ?

 भारत में जब हर एक राजनैतिक पार्टी, हर चुनाव क्षेत्र में जाति धर्म के आधार पर उम्मीदवार खड़ा करती है,चुनाव प्रचार में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने से नही हिचकती और मतदाता भी जाती धर्म के आधारपर सिर्फ टैक्टि्कल वोटिंग करते हैं तो फिर काहे की धर्मनिरपेक्षता? दरसल भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता और समाजवादी गणतंत्र होने की घोषणा करता है, किंतु वह सिर्फ संविधान की किताब में बंद है!

जिस तरह अमेरिका, इंग्लैंड, इजरायल की लोकतांत्रिक व्यवस्था में धर्मनिरपेक्षता सिर्फ दिखावे की उद्घोषणा मात्र है,उसी तरह अल्पसंख्यकों के अलगाववाद ने टैक्टिकल वोटिंग करके भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज को जबरन दक्षिणपंथी रूढ़ीवादी समाज व्यवस्था के गड्ढे में धकेल दिया है अब तो धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के खंडहर बता रहे हैं कि इमारत *लाख का महल* थी ,जिसमें भारतीय संविधान के नीतिनिर्देशक सिद्धांत रूपी पांडव जलकर खाक हो गये हैं!

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