गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

संघर्ष जारी रखें!

 जिन कारणों से धरती पर बुहान (चीन) से महा भयानक कोरोना वायरस आया,जिन कारणों से मनुष्य स्वार्थी और हैवान बना, जिन कारणों से दुनिया में घोर नकारात्मक वैज्ञानिक आविष्कारों का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा, जिन कारणों से धरती की चैतन्य जीवन्तता को खतरा है,जिन कारणों से जल-जंगल-जमीन का क्षरण हुआ,वेशक उन सभी कारणों की जन्मदात्री मनुष्य जाति की घोर स्वार्थ लिप्सा मात्र है!

और जिन कारणों से सभ्य मानव समाज को तमाम रीति रिवाज, मर्यादायें,संविधान,कोर्ट, कानून पुलिस बगैरह बनाना पड़े तथा जिन कारणों से सामाजिक और आर्थिक विषमता बढ़ी,जिन कारणों से एक ताकतवर -बदमाश पुरुष महिला ने कमजोर और सचरित्र मनुष्य का शोषण-उत्पीड़न किया,जिन कारणों से दुनिया में युद्ध,महायुद्ध और तथाकथित धर्म युध्द लड़े गये,जिस वजह से व्यक्ति-व्यक्ति में बैरभाव उत्पन्न होता रहा,उन सभी कारणों के निऱाकरण के सिर्फ दो ही मार्ग हैं!
पहला है:-भाववादी दर्शन-अर्थात धरम करम नैतिकता,धार्मिक आस्था,विश्वास और ईश्वरवाद!
दूसरा है :- भौतिकवादी वैज्ञानिक दर्शन याने साम्यवाद अथवा वैज्ञानिक समाजवाद ! जिसका ऐलान है कि :-
"कमाने वाला खायेगा-लूटने वाला जाएगा!"
दुनिया ने पहले वाले मार्ग पर चलकर हजारों साल देख लिये,किंतु दुनिया की तस्वीर दिन ब दिन और अधिक बदरंग होती चली गई! अब तो आदमी और धरती दोनों का अस्तित्व खतरे में है!
इसीलिए अब दूसरे वाले मार्ग को प्रयोग में लाये जाने की सख्त जरूरत है! कुछ लोग मार्क्सवादी दर्शन को प्रयोग में लाये बिना ही उसे खारिज करने की कोशिश करते रहते हैं! ये लोग मानवता के और मेहनतकशों के भी दुश्मन हैं!
वेशक कार्ल मार्क्स के दर्शन की कोई सीमा रेखा नही है ! और उनका ही महान कथन था कि "उनके विचारों को अंतिम सत्य या ब्रह्म वाक्य नही माना जाना चाहिये!"
किंतु जब तक मार्क्स के विचारों से बेहतर दर्शन और राजनैतिक व्यवस्था ईजाद नही हो जाती,तब तक गरीब सर्वहारा वर्ग को हक है कि वे साम्यवादी दर्शन पर आधारित समाजवादी व्यवस्था के लिये अपना सतत संघर्ष जारी रखें!
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मौजूदा दौर में भारत की जो घटती विकास दर या घटती जीडीपी नजर आ रही है इसके लिये कोरोना महामारी और केंद्र की मोदी सरकार फिफ्टी फिफ्टी जि्म्मेदार हैं!यह सब ठेकेदारी प्रथा और प्रशासनिक लापरवाही का दुष्परिणाम है ! कोरोना संकट नही था, तब भी निजी क्षेत्र के निर्धन कामगारों से 10 -12 घंटे काम लिया जा रहा था! उन्हें कभी समय पर गुजारे लायक वेतन नही दिया गया!
यदि वक्त पर उचित कदम उठाते और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देते तो इतनी मौतें नही होतीं! यदि अंबानी अडानी को ठेके देने और उन्हें मालामाल करने और मीडिया से अपनी झूंठी प्रशंसा करानेके बजाय सरकारी उपक्रमों को थोड़ा भी सहयोग देते तो देश की विकास दर आज नकारात्मक (-23)नही होती बल्कि थोड़ी बढ़ती ही और उसका प्रतिफल आम आदमी को जरूर मिलता !
मोदी सरकार की रीति नीति सही होती तो निम्न मध्यम वर्ग और गरीब सर्वहारा वर्ग को भी बेहतर शिक्षा,स्वास्थ और बेहतर जीवन प्राप्त होता ! मोदीजी बड़ी शिद्दत के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ भारत के महाबलिपुरम में 18-18 घंटे धर्म,इतिहास और संस्क्रति पर चर्चा करते रहे,वे चीन के साथ कुछ कामकाजी समझौते भी करते रहे, किंतु उनके इतने मेहनती होने का देश को क्या फायदा? जबकि यूपी बिहार के बाढ़ पीड़ित रोते रहे या BSNL के लाखों रेग्युलर कर्मचारियों और ठेका मजूरों को त्यौहार पर भी वेतन नही मिला!
आजकल शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगारों को कोई काम नही मिल रहा है!इसके उलट सरकारी उपक्रम बंद किये जा रहे हैं, निजी क्षेत्र भी मंदी की मार से पीड़ित है और जो थोड़े से काम पर लगे थे,उन्हें गुजारे लायक न्यूनतम वेतन समय पर नहीं दिया जा रहा है!चुनावों में मोदी सरकार ने युवाओं से जो जो वादे किये थे ,वे सब हासिये पर चले गये!अब तो मोदी सरकार का केवल पाकिस्तान को आँख दिखाना रह गया है! अधिकांस सत्ताधारी मंत्री नेता धारा 370 हटाये जाने पर इतरा रहे हैं! वे हर किस्म के ईवेंट को चुनावी प्रयोजन में बदलने की कलाकारी में माहिर हैं!अपना ही चुनाव घोषणा पत्र पढ़ने की फुर्सत नही है!

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