इंकलाब ज़िंदाबाद !
progressive Articles ,Poems & Socio-political -economical Critque !
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
शुरू करते हैं हम दोनों!
उन्हीं की जीत होती है,
जो गिरकर के संभल जायें!
कोई शिकवा शिकायत हो
दिलों से सब निकल जायें!!
मोहब्बत का सफर फिर से
शुरू करते हैं हम दोनों!
ज़रा सा तुम बदल जाओ
ज़रा सा हम बदल जायें!!
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