सोमवार, 12 अक्टूबर 2020

ईवेंट को चुनावी प्रयोजन में बदलने की कलाकारी

 मौजूदा दौर में भारत की जो घटती विकास दर या घटती जीडीपी नजर आ रही है इसके लिये कोरोना महामारी और केंद्र की मोदी सरकार फिफ्टी फिफ्टी जि्म्मेदार हैं!यह सब ठेकेदारी प्रथा और प्रशासनिक लापरवाही का दुष्परिणाम है ! कोरोना संकट नही था, तब भी निजी क्षेत्र के निर्धन कामगारों से 10 -12 घंटे काम लिया जा रहा था! उन्हें कभी समय पर गुजारे लायक वेतन नही दिया गया!

यदि वक्त पर उचित कदम उठाते और स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान देते तो इतनी मौतें नही होतीं! यदि अंबानी अडानी को ठेके देने और उन्हें मालामाल करने और मीडिया से अपनी झूंठी प्रशंसा करानेके बजाय सरकारी उपक्रमों को थोड़ा भी सहयोग देते तो देश की विकास दर आज नकारात्मक (-23)नही होती बल्कि थोड़ी बढ़ती ही और उसका प्रतिफल आम आदमी को जरूर मिलता !
मोदी सरकार की रीति नीति सही होती तो निम्न मध्यम वर्ग और गरीब सर्वहारा वर्ग को भी बेहतर शिक्षा,स्वास्थ और बेहतर जीवन प्राप्त होता ! मोदीजी बड़ी शिद्दत के साथ चीनी राष्ट्रपति शी जिन पिंग के साथ भारत के महाबलिपुरम में 18-18 घंटे धर्म,इतिहास और संस्क्रति पर चर्चा करते रहे,वे चीन के साथ कुछ कामकाजी समझौते भी करते रहे, किंतु उनके इतने मेहनती होने का देश को क्या फायदा? जबकि यूपी बिहार के बाढ़ पीड़ित रोते रहे या BSNL के लाखों रेग्युलर कर्मचारियों और ठेका मजूरों को त्यौहार पर भी वेतन नही मिला!
आजकल शिक्षित और अशिक्षित बेरोजगारों को कोई काम नही मिल रहा है!इसके उलट सरकारी उपक्रम बंद किये जा रहे हैं, निजी क्षेत्र भी मंदी की मार से पीड़ित है और जो थोड़े से काम पर लगे थे,उन्हें गुजारे लायक न्यूनतम वेतन समय पर नहीं दिया जा रहा है!चुनावों में मोदी सरकार ने युवाओं से जो जो वादे किये थे ,वे सब हासिये पर चले गये!अब तो मोदी सरकार का केवल पाकिस्तान को आँख दिखाना रह गया है! अधिकांस सत्ताधारी मंत्री नेता धारा 370 हटाये जाने पर इतरा रहे हैं! वे हर किस्म के ईवेंट को चुनावी प्रयोजन में बदलने की कलाकारी में माहिर हैं!अपना ही चुनाव घोषणा पत्र पढ़ने की फुर्सत नही है! जय हिन्द।

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