जो लोग अयोध्या का विवादास्पद ढाँचा याने (रामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद ढांचा ) गिराने वाली भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे,वे 28 साल बाद कोर्ट से बरी हो गये हैं ! इनमें से कुछ तो मर चुके हैं, कुछ अत्यंत बुजुर्ग हो चले हैं! कोर्ट के इस निर्णय पर बाबरी मस्जिद के पक्षकार जनाब अंसारी साहिब की और यूपी शिया बोर्ड की प्रतिक्रिया बहुत संतुलित रही !
किंतु कुछ लोग जो मुसलमान नही हैं और जिनके नाम हिंदू परंपरा के हैं वे हिंदू समाज को गाली देते रहते हैं! इसीलिए उनको हिंदू समाज पसंद नही करता!ऐंसे तोता रटंत जड़ बुद्धिजीवियों और हरल्ले नेताओं ने कोर्ट के फैसले पर स्यापा पढ़ना शुरू कर दिया है!ये लोग गरीबों,किसानों और मजदूरों की लड़ाई छोड़कर, बार बार हिंदुओं की आस्था पर चोट करते रहते हैं!इसीलिये हर चुनाव में इनकी जमानत जब्त हो जाती है! वे भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज के वोट और नोट तो तो पसंद करते हैं,किंतु अहिंसक हिंदू समाज की धार्मिक आस्था को पसंद नही करते! जबकि वे एक ताकतवर हिंसक और अल्पसंख्यक मजहब के समर्थन के लिये झंडे डंडे लेकर हरदम तैयार रहते हैं!
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