नंगे -भूँखों को मंदिर-मस्जिद नहीं ,
रोजगार और राशन-पानी चाहिये!
मुर्दों को बैंक का खाली खाता नहीं,
बदन पर सिर्फ दो गज कफ़न चाहिए!!
स्वच्छता विकास सुशासनके नारों की,
और पार्टियों की चुनावी लफ्फाजी नहीं!
सबको शिक्षा का समान अधिकार,
और हर हाथ को काम मिलना चाहिए!!
चुनाव में सद्भाव का विघटन न हो,
रिस्तों पर आंच नहीं आनी चाहिए!
यह सदा संभव नहीं इस सिस्टम में,
कि हर किसी शख्स की मुराद पूरी हो !!
फिर भी न्यूनतम संसाधनों की आपूर्ति,
हरएक नागरिक तक पहुंचनी चाहिए!
इतना तो इस धरती पर मौजूद है कि-
उसके तमाम वाशिंदे सकुशल जी सकें !!
मुनाफाखोरी,शोषण,उत्पीड़न,आतंक
और बेकारी का उन्मूलन होना चाहिये!
बार बार पूंजीवादी सत्ता परिवर्तन से-
अब तक जिन चोट्टों का हुआ विकास!!
उन कालेधन वालों का जयकारा नहीं,
बल्कि माकूल सजा मिलनी चाहिए!
कोरोना कुदरत का जबाब है इंसान को,
इस महामारी से सबक सीखना चाहिये!!
श्रीराम तिवारी
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तू मिट्टी से भी यारी रख
दिल से दिलदारी रख
किसी को चोट न पहुँचे बातों से
इतनी तो समझदारी रख
पहचान हो तेरी सबसे हटकर
भीड़-भाड़ में कलाकारी रख
पलभर का है ये जोश जवानी का
आगे बुढ़ापे की भी तैयारी रख
चाहे दिल सबसे मिलता नहीं
फिर भी तेरी ज़ुबान प्यारी रख
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