सोमवार, 2 मार्च 2020

गड़े मुर्दे उखाड़ने से इति श्री संभव नही.

वेशक अशांत राष्ट्र और समाज की मौजूदा हालत के लिए उसका नकारात्मक अतीत जिम्मेदार हुआ करता है। जिस तरह गलत-सलत जीवन शैली ,धूम्रपान जैसे बुरी आदतों और निर्धनता जनित कुपोषण की मार से कोई भी व्यक्ति एक निश्चित समय के बाद अपना इम्यून सिस्टम कमजोर पाता है और बीमार पड़ने लगता है,उसी तरह एक लंबे समयांतराल के बाद समाज तथा राष्ट्र भी अपने अतीत के नकारात्मक किये धरे से बीमार होनेलगता है।
इसीलिए मौजूदा चुनौतियों से दो चार होने के लिये निहित स्वार्थ छोड़कर संयम,धैर्य और पराक्रम दिखाना चाहिये!हर समस्या के लिये अतीत को कोसने और केवल गड़े मुर्दे उखाड़ने से इति श्री संभव नही!बल्कि अपने समय के बवण्डरों,अपने दौर के अभावों और अपने दौर के अशांत वातावरण को शांत करने के लिए अतीतका विहंगावलोकन जरुरी है। अतीत के काले हिस्से को अलग -थलग करते हुए हमें उसके मानवीय और सत्य,अहिंसा,समता,करुणा,और विश्व बंधुत्व वाले हिस्से को आत्मसात करना ही होगा!तभी मानव मात्र को उचित न्याय ,आदर और सुखद जीवन का हक हासिल हो सकता है। श्रीराम तिवारी

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