वेशक 'राजनीति' न तो स्वच्छ होती है और न ही गन्दी। वह तो सिर्फ 'राजनीति' होती है। जैसे की चाकू न तो 'असुंदर' होता है और न ही सुंदर। वह तो महज चाकू ही होता है। जब उसे किसी निरीह निर्दोष की हत्या के निमित्त प्रयुक्त किया जाता है तो वह 'वीभत्स' दिखता है। जब वह आपरेशन थिएटर में डॉ के हाथों में होता है तो वैल्यूएडेड लगता है। रसोई घर में तो सब्जी काटते समय यदि भोंथरा चाकू भी मिल जाए तो भी प्रिय लगता है। राजनीति और चाकू दोनों मानवता के लिए हैं। लेकिन जब राजनीति या चाकू गलत हाथों में पहुँच जायें तो जबरन छीन लेना चाहिये!इन्हें योग्य हाँथों में दिया जाना चाहिये!
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