आज रात सपने में भारत माता के दर्शन हुये ! वह बहुत उदास थी ! मैने पूँछा क्या माते! वह बोली-बेटा क्या बताऊँ ? ऐरों गैरों की तो मैं परवाह ही नही करती,किंतु जो मेरे अपने हैं,वे अपने स्वार्थ के लिये मेरी झूँठी कसमें खाते हैं,अपनी चुनावी जीत के लिये वो खुद पुलवामा कांड कराते हैं,फिर युद्ध युद्ध चिल्लाते हैं! वे अमीरों को लाभ पहुँचाते हैं,बैंकों को लुटवाते हैं फिर उसकी भरपाई के लिये,मध्यमवर्गीय आवाम की छोटी छोटी बचतों पर ब्याज कटौती करके उनकी जेब पर डाका डालते हैं! नकली राष्ट्रवादी बगुला भक्तों से मूर्ख जनता उनके झांसे में आजाती है!इसीलिये मैं तुम्हारी भारत माता चिंतित और दुखी हूँ! क्योंकि वे कपूत दूसरे दलों को जिंदा निगलना चाहते हैं!चूंकि यह लोकतंत्र के लिये शर्मनाक है,इसलिये दुखी हूँ!
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