भाजपा जब जब विपक्ष में होती है तब उसके नेता बहादुरी,बुद्धिमत्ता और अक्लमन्दी की खूब बातें करते हैं । लेकिन सत्ता में आते ही वे लोग बौरा जाते हैं। अभी २०१७ के दरम्यान मोदी जी और धोबाल की कूटनीति का परिणाम यह है कि भारतीय विदेशनीति चारों खाने चित पड़ी है !आतंकवाद और नक्सलवाद का खतरा रंचमात्र कम नहीं हुआ !पाकिस्तान न केवल लगातार सीमाओं पर सीज फायर का उललंघन करत रहता है अपितु अपने पालतू मजहबी आतंकी ग्रुपों को भारत में भेजकर भारत के सैन्य ठिकाने बर्बाद कर रहा है। पाकिस्तान ने जाधव जैसे लोगों को जबरन फांसी चढ़ा देने के बहाने भारत को रक्षात्मक होने पर मजबूर कर रखा है। उधर चीन ने पीओके में सारी दुनिया को नेवता देकर भारत को 'पंगत' से दूर रखने में सफलता पाई है। अमेरिका से दोस्ती गांठने के फेर में मोदी सरकार ने भारत का सर्वस्व दाव पर लगाया ,किन्तु ट्रम्प महाशय के सत्ता में आने से अमेरिका में भारतीय युवाओं पर छटनी की तलवार लटक रही है। मोदी सरकार ने अमरीका को इस वादे पर भारत में सौ फीसदी एफडीआई दिया था कि एनएसजी [न्यूक्लियर सेफ्टी ग्रुप ]की सदस्यता भारत को मिल जायेगी !किन्तु नतीजा ठनठन गोपाल ! अब हर असफलता के लिए चीन के वीटो का बहाना किया जा रहा है ! यदि यही असल वजह है तो यह सिलसिला तो नेहरु से लेकर अटलबिहारी वाजपेई तक सभी दौर में जारी रहा है ! फिर किस बात पर यह दावा किया गया कि ''७० साल में कुछ नहीं हुआ अब अहम आये हैं तो सब ठीक कर देंगे ?''
इतिहास गवाह है जब-जब गैर कांग्रेसी विपक्ष को या भाजपा को देश की सत्ता मिली है ,तब-तब गैर भाजपाई दलों का और खास तौर से भारत देश का ही बंटाढार हुआ है। यही वजह रही कि अलोकतांत्रिक इमरजेंसी के कष्ट उठाकर ,कांग्रेसी कुराज का भृष्टाचार भुलाकर और अपना मन मारकर भारत की जनता ने पुनः पुनः कांग्रेस रुपी कोंदबाड़े को सत्ता के लिए चुना है। एतद द्वारा यह सिद्ध किया जा सकता है कि राहुल गाँधी को और कांग्रेसियों को बस थोड़ा सा सब्र करना होगा। उन्हें अपनी विश्वसनीयता कायम रखनी होगी ,बाकी का काम देश की जनता खुद ही कर देगी ! नोटबंदी ,कालाधन और भृष्टाचार के बारे में कटु अनुभव से जनता समझदार होती जा रही है। पूंजीपति घरानों का रागदरबारी छोड़कर शेष राष्ट्रवादी -जनवादी मीडिया भी देश की जनता के साथ खंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष के लिए तैयार हो रहा है !अब सिर्फ राजनैतिक विपक्ष को अपना दायित्व और अपनी भूमिका को समझना है।
ताजा खबर है कि रूस और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संधि हुई है। रूस ने पाकिस्तान और चीन के बीच बन रहे हाइवे को अपनी सहमति दे दी है। पाकिस्तान ने चीन को पीओके ,बलूचिस्तान और ग्वादर बंदरगाह भेंट में दे दिया है। बदले में चीन ने पाकिस्तान को विश्व मंच पर आतंकवादी आरोपों से रक्षा का बचन दिया है।जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है,तबसे भारत के चारों ओर दुरभिसंधियों का चक्रव्यूह सफल होता जा रहा है। भारत की विदेश मंत्री बीमार हैं ,पीएम को नोटबंदी की असफलता ने बंधक बना लिया है। अमेरिका ने पहले ही भारत की मोदी सरकार से १००% एफडीआई के बदले 'एनएसजी ' में मेम्बरशिप का वादा किया था ,उसका नतीजा भी जीरो ही है। इधर मोदीजी की असफल विदेश नीति ने रूस को भी पाकिस्तान का मित्र बना दिया है।
नेपाल को भूकम्प और बाढ़ में सहायता दी मधेशियों का पक्ष लिया किन्तु अब नेपाल के मधेशी भी भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं। जब से भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की है तभी से सीमाओं पर भारतीय जवान दनादन शहीद हो रहे हैं। डॉ मनमोहनसिंह के दौर में एकबार जब दो भारतीय जवानों के सर काटे गए थे ,तब गुजरात के मुख्यमंत्री मोदीजी ने कहा था ''हम होते तो घुसकर मारते !''अब वे अंदर घुसकर कितने मार रहे हैं ये तो पता नहीं ,क्योंकि पाकिस्तानी फ़ौज खुद नहीं लड़ती वह भारत [कश्मीर]से ही किराये के फिदायीन बनाकर मरने -मारने के लिए सीमाओं पर भेजती रहती है।
सोवियत संघ के पराभव और पूँजीवादी प्रतिक्रांति से आल्हादित भारतीय साम्प्रदायिक दुमछल्लों ने बार-बार यह ऐलान किया है कि कम्युनिज्म खत्म हो गया है ,समाजवाद का अब कोई भविष्य नहीं ! जो नेता ऐंसा समझते रहे कि अमेरिकाके अलावा उनका कोई माई बाप नहीं ! सत्ता में आकर उन्ही कृतघ्न नेताओं ने भारत को फिलहाल मित्रविहीन बना दिया है। ये मंदबुद्धि लोग नहीं जानते कि सिर्फ अपने आपको 'देशभक्त' और 'हिंदुत्ववादी' कहने मात्र से देश सुरक्षित नहीं हो जाता ! क्या मोदी सरकार को जानकारी नहीं कि सोवियत संघ ने १९७१ के बांग्ला मुक्ति संग्राम में भारत का भरपूर साथ दिया था ? तब सोवियत संघ ने महज एक महीने में ही पांच बार भारत के पक्ष में 'वीटो' लगाया था। और यही वजह रही कि पाकिस्तान के दो टुकड़े कर गए थे ! सोवियत संघ पहला देश था जिसने 'बांग्लादेश' को मान्यता दी थी। सभ्यताओं के इतिहास में भारत की यह पहली शानदार विजय थ
श्रीराम तिवारी !
इतिहास गवाह है जब-जब गैर कांग्रेसी विपक्ष को या भाजपा को देश की सत्ता मिली है ,तब-तब गैर भाजपाई दलों का और खास तौर से भारत देश का ही बंटाढार हुआ है। यही वजह रही कि अलोकतांत्रिक इमरजेंसी के कष्ट उठाकर ,कांग्रेसी कुराज का भृष्टाचार भुलाकर और अपना मन मारकर भारत की जनता ने पुनः पुनः कांग्रेस रुपी कोंदबाड़े को सत्ता के लिए चुना है। एतद द्वारा यह सिद्ध किया जा सकता है कि राहुल गाँधी को और कांग्रेसियों को बस थोड़ा सा सब्र करना होगा। उन्हें अपनी विश्वसनीयता कायम रखनी होगी ,बाकी का काम देश की जनता खुद ही कर देगी ! नोटबंदी ,कालाधन और भृष्टाचार के बारे में कटु अनुभव से जनता समझदार होती जा रही है। पूंजीपति घरानों का रागदरबारी छोड़कर शेष राष्ट्रवादी -जनवादी मीडिया भी देश की जनता के साथ खंधे से कंधा मिलाकर संघर्ष के लिए तैयार हो रहा है !अब सिर्फ राजनैतिक विपक्ष को अपना दायित्व और अपनी भूमिका को समझना है।
ताजा खबर है कि रूस और पाकिस्तान के बीच ऐतिहासिक संधि हुई है। रूस ने पाकिस्तान और चीन के बीच बन रहे हाइवे को अपनी सहमति दे दी है। पाकिस्तान ने चीन को पीओके ,बलूचिस्तान और ग्वादर बंदरगाह भेंट में दे दिया है। बदले में चीन ने पाकिस्तान को विश्व मंच पर आतंकवादी आरोपों से रक्षा का बचन दिया है।जबसे मोदी सरकार सत्ता में आई है,तबसे भारत के चारों ओर दुरभिसंधियों का चक्रव्यूह सफल होता जा रहा है। भारत की विदेश मंत्री बीमार हैं ,पीएम को नोटबंदी की असफलता ने बंधक बना लिया है। अमेरिका ने पहले ही भारत की मोदी सरकार से १००% एफडीआई के बदले 'एनएसजी ' में मेम्बरशिप का वादा किया था ,उसका नतीजा भी जीरो ही है। इधर मोदीजी की असफल विदेश नीति ने रूस को भी पाकिस्तान का मित्र बना दिया है।
नेपाल को भूकम्प और बाढ़ में सहायता दी मधेशियों का पक्ष लिया किन्तु अब नेपाल के मधेशी भी भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं। जब से भारत ने पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की है तभी से सीमाओं पर भारतीय जवान दनादन शहीद हो रहे हैं। डॉ मनमोहनसिंह के दौर में एकबार जब दो भारतीय जवानों के सर काटे गए थे ,तब गुजरात के मुख्यमंत्री मोदीजी ने कहा था ''हम होते तो घुसकर मारते !''अब वे अंदर घुसकर कितने मार रहे हैं ये तो पता नहीं ,क्योंकि पाकिस्तानी फ़ौज खुद नहीं लड़ती वह भारत [कश्मीर]से ही किराये के फिदायीन बनाकर मरने -मारने के लिए सीमाओं पर भेजती रहती है।
सोवियत संघ के पराभव और पूँजीवादी प्रतिक्रांति से आल्हादित भारतीय साम्प्रदायिक दुमछल्लों ने बार-बार यह ऐलान किया है कि कम्युनिज्म खत्म हो गया है ,समाजवाद का अब कोई भविष्य नहीं ! जो नेता ऐंसा समझते रहे कि अमेरिकाके अलावा उनका कोई माई बाप नहीं ! सत्ता में आकर उन्ही कृतघ्न नेताओं ने भारत को फिलहाल मित्रविहीन बना दिया है। ये मंदबुद्धि लोग नहीं जानते कि सिर्फ अपने आपको 'देशभक्त' और 'हिंदुत्ववादी' कहने मात्र से देश सुरक्षित नहीं हो जाता ! क्या मोदी सरकार को जानकारी नहीं कि सोवियत संघ ने १९७१ के बांग्ला मुक्ति संग्राम में भारत का भरपूर साथ दिया था ? तब सोवियत संघ ने महज एक महीने में ही पांच बार भारत के पक्ष में 'वीटो' लगाया था। और यही वजह रही कि पाकिस्तान के दो टुकड़े कर गए थे ! सोवियत संघ पहला देश था जिसने 'बांग्लादेश' को मान्यता दी थी। सभ्यताओं के इतिहास में भारत की यह पहली शानदार विजय थ
श्रीराम तिवारी !
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