शुक्रवार, 16 दिसंबर 2016

रूस फिर 'सोवियत संघ'जैसा ताकतवर हो गया है।

बीसवीं शताब्दी में टक्कर बराबर की थी।अमेरिका ने अंतरिक्ष में कुत्ता भेजा तो  'सोवियत संघ' ने अंतरिक्ष में इंसान ही भेज दिया। प्रतिस्पर्धा में अमेरिका ने चन्द्रमा पर  अपने बन्दे उतार दिए। रूस ने भी फौरन डबल भेज दिए। अमेरिका ने यदि किसी रोज सुबह परमाणु परीक्षण किया तो दोपहर तक 'सोवियत संघ' के साईवेरिया में भी धरती हिलने लगती।अमेरिका ने पाकिस्तान के पास अरब सागर में अपनी फ़ौजी अभ्यास किया तो 'सोवियत संघ' [अब रूस] ने भारत ,दक्षिण अफ्रीका और दुनिया के तमाम पूर्ववर्ती गुलाम राष्ट्रों को अपना समर्थन दे दिया। यदि अमेरिका ने 'नाटो' बनाया तो सोवियत संघ ने 'वार्सा सन्धि'करके लेफ्टिट्स और गरीब देशों को अपने खेमें में शामिल कर लिया।लेकिन बीसवीं सदीके चौथे चरण में अमेरिका ने भूमंडलीकरण,बाजारबाद और उदारवाद का हौआ खड़ा करके 'सोवियत संघ' की साम्यवादी व्यवस्थाको ध्वस्त कर दिया ।सोवियत संघके कई टुकड़े हो गए , बड़ा हिसा 'रूस' बनकर रह गया। किन्तु  इक्कीसवीं शताब्दी के पूर्वार्ध में रूस फिर से अमेरिका पर हावी है। विगत शताब्दी के शीत युद्ध और उसके बाद 'सोवियत संघ' के  पराभव को सभी जानते हैं ,किन्तु यह कल्पना किसी ने नहीं की थी कि लुट-पिट कर भी रूस फिर से संसार का महाबली बन जाएगा। कोई स्वप्न में भी नहीं सोच सकता कि एक दिन ऐंसा आएगा जब अमेरिका के राष्ट्र्पति चुनावों में हारजीत के लिए रूसको जिम्मेदार ठहराया जाएगा !

डोनाल्ड ट्रम्पकी जीत और हिलेरी क्लिंटन की हारसे अमेरिका सदमें में है। चुनाव प्रक्रिया पर अंगुली उठ रहीहै। ट्रम्प के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं। ट्रम्प महोदय ने जिसे विदेश मंत्री बनाया है वह रूस के राष्ट्रपति पुतिन का व्यवसायिक रणनीतिक साझीदार है। लगता है कि रूस फिरसे 'सोवियत संघ'जैसा ताकतवर हो गया है।रूस ने यदि आर्थिक असमानता वाली व्यवस्था को बढ़ावा न दिया होता और उसने 'वारसा सन्धि' को भंग न किया होता तो वह 'सोवियतसंघ' से भी बेहतर होता।    

 निवृतमान अमेरिकी प्रेजिडेंट बराक हुसेन ओबामा ने रूस पर आरोप लगाया है कि उनकी डैमोक्रेटिक प्रत्याशी श्रीमती हिलेरी क्लिन्टन की हार के लिए 'रूस' जिम्मेदार है। मिस्टर ओबामा ने सीआईए को जांचके आदेश देकर अपने पदमुक्त होने[जनवरी-२०१६] से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने की उम्मीद की है। अमेरिका में इस बार के राष्ट्रपति चुनाव मजाक बनकर रह गएहैं। अमेरिका और उसके पिछलग्गुओं को बड़ा गुमानथा कि सच्चा लोकतंत्र तो केवल अमेरिका में ही है। अमेरिका को विश्व शक्ति होने का,मानव अधिकार की पैरवी का,पैंटागन की शक्ति का और नाटो के नापाक गठजोड़ का बड़ा अभिमान था । किन्तु हिलेरी की हार और ट्रम्प की जीत ने अमेरिका को दुनिया के सामने लगभग वेपर्दा कर दिया है। कम्युनिस्ट विरोधियों और रूस विरोधियों को यह जानकर दुःख होगा कि अमेरिका ने ही इस सबके पीछे रूस का हाथ बताया है। याने अमेरिकाके सापेक्ष रूस फिरसे ताकतवर हो चुका है !

बीसवीं शताब्दी में शीत युद्ध के दौरान और सत्तर के दशक तक रूस और अमेरिका लगभग बराबर की टक्कर के दो शक्तिशाली विपरीत ध्रुव राष्ट्र हुआ करते थे। किन्तु अमेरिकन साम्राज्यवादी विकृत पूँजीवाद और उसकी बदनाम संस्था  सीआईए ने तत्कालीन सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी में ,पोलित ब्यूरो में और क्रेमलिन में भी अपने एजेंट घुसेड़ दिए दिए। सोवियत नेताओं की जड़ता और कम्युनिस्ट पार्टी की गफलत से गोर्बाचेव-येल्तसिन जैसे अमेरिकी एजेंट सत्ता में आ गए। उन्होंने अमेरिका के इशारे पर सोवियत संघ के दर्जनों टुकड़े आकर डाले ! रूस ,यूक्रेन,लाटिविया ,उज्वेगिस्तान,तुर्कमेनिस्तान,कजाकिस्तान ,आर्मेनिया ,जार्जिया और न जाने कौन-कौन से राष्ट्र पैदा कर 'सोवियत संघ'को जमींदोज कर दिया गया ?

रूस-अमेरिकी रिश्तों के इतिहास का पहिया पूरा राउंड ले चुका है। जिस रूस को दुनिया में आधुनिक तकनीकी में पिछड़ा और फिसड्डी बताया गयाथा,उसी रूसके युवा हैकर्स पर आरोप है कि उन्होंने हारते हुए ट्रम्पको जिता दिया और जीत रही हिलेरी क्लिंटन को हरवा दिया ! यह आरोप खुद हिलेरी क्लिंटन और प्रेजिडेंटओबामा ने ही लगाया है.बाकायदा सरकारी जांच चल रही है। विजयी डोनाल्ड ट्रम्प ने इस जाँच की घोषणा को बकवास बताया है। अमेरिका की जनता भी बुरी तरह दो हिस्सों में बट चुकी है ,यह हालत देखकर उन लोगों की गलतफहमी दूर हो जाना चाहिए जो सोवियतसंघ को और सोवियत समाजवादी व्यवस्था को ,अमेरिका से कमजोर और तकनीकी रूप से पिछड़ा  मान बैठे थे ! जिन्हें जानकारी न हो वे नोट कर लें कि सोवियत संघ विघटनके उपरान्त रूसी संघ में सिर्फ इतना फर्क आया है कि एक मजबूत 'सोवियत संघ' की जगह अब वहां एक दर्जन देशों का फेडरेशन है !सबके अपने-अपने अलग झंडे हैं और 'समाजवादी सोवियत व्यवस्था'कमोवेश सभी देशों में अभीभी यथावत है।

सोवियत संघ के पराभव और पूँजीवादी प्रतिक्रांति से आल्हादित भारतीय साम्प्रदायिक दुमछल्लों ने बार-बार ऐलान किया है कि कम्युनिज्म खत्म हो गया है ,समाजवाद का कोई भविष्य नहीं ,अमेरिका के अलावा उनका कोई माई बाप नहीं ! ये कृतघ्न लोग अपने आपको देशभक्त कहते हैं जबकि इन मूर्खों को यह नहीं मालूम की सोवियतसंघ ने ही १९७१ के बांग्ला मुक्ति संग्राममें भारतका भरपूर साथ दियाथा। सोवियत संघने एक महीने में पांच बार भारत के पक्ष में 'वीटो' लगाया था। और जिससे पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए थे ! इतिहास में भारत की यह पहली विजय थी ! श्रीराम तिवारी !

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें