जर्मनी- फ़्रांस -कनाडा में मजमा लगाने से कुछ नहीं होगा बंधुवर ,
वतन पर संकट मंडराया चारों ओर आतंकियों ने कुदृष्टि डाली है।
दुर्गति हो चुकी ओला -बारिस पीड़ित किसानों की-खेत मजूरों की,
उजड़ा -उजड़ा सा है चमन फिर भी फीलगुड में अभी तक माली है।।
न सँभलोगे तो मिट जाओगे तुम भी ये नसीब वालो ! याद रखो !
तुम्हारे राज में तो देश की एकता खतरे में और गऱीबों के पेट खाली हैं
आम आदमी पर बढ़ते जुल्म आतंकवादियों के भी हौसले बुलंदी पर ,
वतन की फ़िक्र कर नादाँ आइन्दा मुसीबत चारों ओर से आने वाली है।
श्रीराम तिवारी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें