गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

वतन की फ़िक्र कर नादाँ मुसीबत चारों ओर से आने वाली है !



    जर्मनी- फ़्रांस -कनाडा में मजमा लगाने से कुछ नहीं होगा बंधुवर  ,

    वतन  पर संकट मंडराया चारों ओर आतंकियों ने कुदृष्टि डाली है।

    दुर्गति  हो चुकी ओला -बारिस पीड़ित किसानों की-खेत मजूरों की,

    उजड़ा -उजड़ा सा है चमन फिर भी  फीलगुड में अभी तक  माली है।।

    न सँभलोगे तो मिट जाओगे तुम भी ये  नसीब  वालो ! याद रखो !

    तुम्हारे राज में  तो देश की एकता खतरे में  और गऱीबों के पेट खाली हैं

    आम आदमी पर  बढ़ते जुल्म  आतंकवादियों के भी हौसले बुलंदी पर ,

     वतन की फ़िक्र कर नादाँ आइन्दा  मुसीबत  चारों ओर से आने वाली है।

                           श्रीराम तिवारी 

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