धर्मांध भेड़ियों का झुण्ड जब कभी सड़कों पर उतर आता है।
तो चारों ओर दहशत का जुनूनी क्रूर दृश्य नजर आता है।।
शहर की अतिक्रमित सड़कों पर लग जाता है जब कभी जाम ,
तो किसी की भी अकाल मौत का वह सबब बन जाता है।
फिजाओं में उमस सी ऐंठती वेमौसम बरसात की मानिंद ,
जब कोई हैरान परेशान शख्स सरे राह दम तोड़ जाता है।।
दिन हो या रात सुबह हो या शाम इस शहर में अब जाम ही जाम ,
खूँखार वाहनों की रफ़्तार में तो मौत का मंजर नजर आता है।
पुलिस प्रशासन नाकाम ट्रेफिक व्यवस्था पंगु -बदमिजाज ,
सर पर कफ़न बाँध कर ही आजकल घर से निकला जाता है।।
हृदयाघात पीड़ित कोई युवा समय पर अस्पताल नहीं पहुँच पाता ,
क्योंकि ऑटो रिक्सा किसी जुलुस के जाम में फंस जाता है।
एक मासूम के अनाथ होने से या उसकी माँ के विधवा होने से,
अहिंसा के पुजारियों का आतंकी जुलूस सुर्खरू हो जाता है।।
मजहबी उन्मादियों को पर उपदेश के सिवा क्या आता है ?
आइना दिखाओ तो कथित अहिंसावादी भी हिंसक हो जाता है।
श्रीराम तिवारी
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