राष्ट्रीय संप्रभुता जली ,जर -जर गया जमीर।
साम्प्रदायिकता न जली ,भारत की तकदीर।।
लोकतंत्र का यज्ञ है ,जनादेश का मन्त्र।
अभिमत आम चुनाव का ,हों निष्पक्ष स्वतंत्र।।
सत्ता सुंदरी के लिए ,सब दल गये बौराय।
नट -मर्कट ज्यों धतकरम ,जन गण रहे लुभाय।।
मुस्लिम वोट की जुगत में ,दल जब भिड़े तमाम।
तो क्यों केवल भाजपा , मोदी हैं बदनाम।।
बिना नीति उद्देश्य के , जीत गये कुछ लोग।
जाति -धर्म -मजहब हुआ ,प्रजातंत्र का रोग।।
राम तिवारी
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